MCD Merger Bill 2022: दिल्ली में तीनों नगर निगमों को एक करने का बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस बिल को पेश किया. जबकि बिल पेश किए जाने को लेकर कांग्रेस, आरएसपी और बीएसपी ने विरोध किया और इसे गलत बताया. 


जो बिल केंद्र सरकार की तरफ से पेश किया गया है, उसमें दिल्ली नगर निगम में सीटों की अधिकतम सीमा 250 रखी गई है. जबकि फिलहाल तीनों निगमों को मिलाकर 272 सीटें हैं. जब तक चुनाव नहीं होते तब तक नगर निगमों पर निगरानी के लिए केंद्र सरकार एक स्पेशल अफ़सर नियुक्त करेगी. वहीं सीटों के निर्धारण के लिए परिसीमन किया जाएगा.


टाली गई थी एमसीडी चुनाव की तारीख
बता दें कि इससे पहले दिल्ली एमसीडी चुनावों का ऐलान किया जाना था, लेकिन अचानक बताया गया कि केंद्र सरकार इसे लेकर बिल पेश करने जा रही है, इसीलिए चुनाव तारीखों का ऐलान टाल दिया गया. इसका सबसे ज्यादा विरोध दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी की तरफ से हुआ, पार्टी की तरफ से आरोप लगाया गया कि एमसीडी चुनाव में बीजेपी की हार हो रही है, इसीलिए चुनाव की तारीखों का ऐलान रोक दिया गया. 


लोकसभा में विपक्षी दलों का विरोध
अब लोकसभा में बिल पेश किए जाने के बाद सरकार इसे संसद के दोनों सदनों में पास करवाना चाहेगी. जिसके बाद दिल्ली में कई साल पहले की तरह सिर्फ एक ही नगर निगम होगा. लोकसभा में इस बिल को लेकर हंगामा भी हुआ. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस बिल को संसद के अधिकार के बाहर बताते हुए बिल को पेश करने का विरोध किया. उनके अलावा आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, कांग्रेस के गौरव गोगोई और बीएसपी के रितेश पांडेय ने बिल का विरोध किया. 


AAP ने किया जीत का दावा
बता दें कि 2011 में दिल्ली में तीन नगर निगमों का गठन किया गया, तब से 2022 तक तीनों की सत्ता पर भाजपा का कब्जा है. वहीं, इससे पहले 2007 से 2012 तक भी नगर निगम में भाजपा सत्ता में थी. लेकिन अब तीनों निगमों को एक करने को दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने नगर निकाय चुनावों में देरी करने का ‘तरीका’ बताया, लेकिन साथ ही कहा कि नगर निगमों के विलय से चुनाव में उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. आप ने दावा किया कि दिल्ली की जनता ने शहरी निकाय से भाजपा को बाहर करने का मन बना लिया है.


भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के नेताओं का मानना है कि इस विलय से पार्टी को अपनी छवि बदलने और सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा और इसमें वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा जिससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय की देनदारियां कम होंगी तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय की सेवाएं बेहतर होंगी.


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