Delhi-NCR AQI: दिल्ली-एनसीआर में धुंध लगातार बढ़ रही है और राजधानी में वायु गुणवत्ता भी बेहद खराब दर्ज की गई. इस कारण दिल्ली और नोएडा प्रशासन ने स्कूल बंद करने का फैसला किया है. दिल्ली में पांचवीं तक के सभी स्कूल 10 नवंबर तक बंद रहेंगे.
वहीं, गौतमबुद्धनगर प्रशासन ने नोएडा में कक्षा 9 तक के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है. प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज-IV आदेश के कार्यान्वयन और बच्चों को ऑनलाइन मोड में पढ़ाई कराने को कहा है.
फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर विक्रम सिंह ने भी मंगलवार (7 नवंबर) से कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है. गुरुग्राम जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने स्कूलों को ऑनलाइन पढ़ाई के बंदोबस्त करने का आदेश दिया है.
मंगलवार को राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के करीब पहुंच गया. वहीं, फरीदाबाद का एक्यूआई 400 के पार पहुंच गया, जबकि गाजियाबद में एक्यूआई लेवल 400 के करीब, नोएडा में 463 और गुरुग्राम में 369 दर्ज किया गया है.
वाहन उत्सर्जन से कितना होता है दिल्ली में प्रदूषण?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट अनुसार, पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेओरॉलॉजी के विकसित किए एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार दिल्ली-एनसीआर की बिगड़ती वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन की हिस्सेदारी 11 से 16 प्रतिशत है, जबकि पराली जलाने से 7 से 16 फीसदी प्रदूषण होता है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में प्रदूषण के स्रोत राजधानी में 14 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण करते हैं.
प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने क्या किया?
प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने दिल्ली में केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस VI-इंजन वाली डीजल बसों को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के क्षेत्रों के बीच संचालित करने की अनुमति दी है.
इसके अलावा दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 15-सूत्रीय कार्य योजना भी लागू की है, जिसमें धूल प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन और खुले में कचरा जलाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसके अलावा शहर के भीतर पटाखों के निर्माण, स्टोरेज, बिक्री और पटाखों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
ऑड-ईवन फॉर्मूला
दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए 13 नवंबर से ऑड-ईवन फॉर्मूला भी लागू किया जा रहा है. ऑड-ईवन स्कीम के तहत जिस दिन ऑड नंबर की तारीख होगी उस दिन सिर्फ ऑड नंबर (नंबर प्लेट में आखिरी नंबर) की रजिस्टर्ड गाड़ियां ही चलेंगी. वहीं, ईवन नंबर की तारीख वाले दिन केवल ईवन रजिस्ट्रेशन नंबर की गाड़ियों को सड़कों पर चलने की इजाजत होगी. अगर कोई ऑड-ईवन का उल्लंघन करता है तो उसको भारी जुर्माना भरना होगा. इस बार दिल्ली सरकार नियमों का उल्लंघन करने वालों से 20 हजार रुपये फाइन वसूलेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन को बताया अवैज्ञानिक
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली वायु प्रदूषण को लेकर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ऑड-ईवन फॉर्मूले को अवैज्ञानिक बताया और दिल्ली सरकार से पूछा कि स्मॉग टावर कब चालू होंगे? इसके अलावा कोर्ट ने कहा, "हमने अलग-अलग किस्म की गाड़ियों की पहचान के लिए अलग रंग के स्टिकर लगाने का आदेश दिया था. उस पर किसी राज्य ने कोई जानकारी नहीं दी."
ऑड-ईवन से कितना फायदा?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि ऑड-ईवन फॉर्मूले का प्रदूषण फैलाने वाले अहम कारक- पर्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 पर काफी कम असर पड़ता है. उन्होंने स्कीम को लेकर 2016 में हुई स्टडी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भले ही दिल्ली के कुछ हिस्सों में वायु प्रदूषण में 8.10 फीसदी की कमी देखी गई, लेकिन बाकी जगहों पर प्रदूषण महज 2-3 प्रतिशत घटा.
क्या होता है PM2.5 और PM10?
कैलिफोर्निया एयर रिसोर्स बोर्ड के अनुसार, पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) हवा में ऐसे कण होते हैं जिनका साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे भी कम होता है. हवा में पीएम का मतलब धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण का शामिल होना है.
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है और विजिबिलिटी भी गिर जाता है.
कितना होना चाहिए PM 10 और PM 2.5 का लेवल?
पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए. पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है. इससे ज्यादा होने पर इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
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