नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाके को प्रदूषण ने पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया है. आज धुंध और कोहरे की परत और गहरी हो गई है. प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाव स्तर पर पहुंच गई है. इस बार दिल्ली सहित समूचे एनसीआर में पिछले साल से ज्यादा प्रदूषण देखने को मिल रहा है. वहीं, प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने पराली नहीं जलाने वाले किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी देने का एलान किया है.


कल तेजी से बढ़ा एक्यूआई सूचकांक


बता दें कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शहर में धुंध का आवरण मोटा होने के साथ खतरनाक हो गया और एक्यूआई सूचकांक मंगलवार शाम को तेजी से बढ़ गया. अमेरिकी दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार शाम प्रदूषक पीएम 2.5 के लिए एक्यूआई गणना 350 है. एक्यूआई का 300 से ऊपर होना स्वास्थ्य पर होने वाले खतरे की आपात स्थिति होती है. इससे पूरी जनसंख्या पर गंभीर स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव पड़ने की आशंका होती है.



अमेरिकी दूतावास के आंकड़े के अनुसार, एक्यूआई सुबह में मंद रहा, यह अपराह्न् करीब एक बजे बदतर स्थिति में पहुंचा और शाम चार बजे 355 के आंकड़े पर पहुंचा. सफर इंडिया के अनुमान के मुताबिक, दिल्ली के समग्र वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है. 24 घंटे के लेड प्रदूषक (पीएम 2.5) का औसत मान मंगलवार सुबह 250 से नीचे हो गया है, जो बहुत खराब कहा गया था.


पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं


वहीं, पंजाब और हरियाणा में 27 अक्टूबर तक पराली जलाने में कम से कम 2,400 घटनाओं का इजाफा हुआ है. यह राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर ने पूर्वानुमान जताया कि पराली के धुएं की दिल्ली के पीएम 2.5 में हिस्सेदारी मंगलवार को बढ़कर 25 प्रतिशत तक हो सकती है जो सोमवार को 15 फीसदी थी.


केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए पंजाब और हरियाणा को कड़े निर्देश जारी किए थे. बावजूद इसके पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं. पंजाब और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पराली जलाने के अधिकतर मामले बीते चार दिनों में सामने आए हैं. पंजाब में पराली जलाने में करीब 25 फीसदी का इजाफा हुआ है.


पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में पिछले साल 27 अक्टूबर तक पराली जलाने की 9,600 घटनाएं रिकॉर्ड हुई थीं. इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 12,027 हो गया है. 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच की अवधि को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि पंजाब और आसपास के राज्यों में इस दौरान पुआल जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं.



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