Delhi New Excise Policy: दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी का कमाल, 10 हजार करोड़ राजस्व आने का अनुमान
दिल्ली सरकार के मुताबिक नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 का मकसद भ्रष्टाचार को कम करना और शराब व्यापार में अच्छी प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा करना है.
दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी के चलते सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी हुई है और तय किए गए लक्ष्य से ज्यादा राजस्व सरकार को मिल रहा है. नई आबकारी नीति से दिल्ली का राजस्व दस हजार करोड़ के करीब पहुंच गया है. दिल्ली में टेंडर के लिए कुल 32 जोन हैं इनमें से दिल्ली सरकार अभी तक 20 जोन का आवंटन कर करीब 5300 करोड़ रुपये कमा चुकी है. इसी के आधार पर बचे हुए 12 जोन में से हर एक जोन की 265 करोड़ रुपये के हिसाब से बोली लगने की उम्मीद है.
दिल्ली सरकार को 20 जोनों के शुरुआती बोली से 5300 करोड़ रुपये राजस्व मिला है. सभी 32 जोन से लगभग 8800 करोड़ की कमाई होगी. इसके अलावा उत्पाद शुल्क, वैट, आयात शुल्क, सीएसडीएन, एचसीआर लाइसेंस, थोक लाइसेंस और एचसीआर वैट एकत्र करने के बाद अतिरिक्त 650 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है. इससे कुल राजस्व के 9500 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है. पिछली एक्ससाइज प्रणाली से भारतीय, विदेशी शराब के उत्पाद शुल्क, थोक और खुदरा बिक्री, एचसीआर उत्पाद शुल्क और खुदरा लाइसेंस शुल्क से इकठ्ठा किए गए वैट से वित्तीय वर्ष 2019-2020 में कुल 6,358 करोड़ राजस्व मिला था.
ई नीति के तहत राजस्व में 35 फीसदी तक बढ़ोत्तरी की उम्मीद
दिल्ली सरकार के मुताबिक नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 का मकसद भ्रष्टाचार को कम करना और शराब व्यापार में अच्छी प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा करना है. इसी तरह का माहौल अभी की टेंडर प्रक्रिया में देखा गया है. नई नीति के तहत टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने वाला व्यक्ति दो से अधिक जोन में बोली नहीं लगा सकता है. इस नियम से अधिक शराब कारोबारी बाजार में आएंगे और किसी का एकाधिकार भी नहीं होगा. पिछली एक्साइज पॉलिसी में राजस्व में सालाना वृद्धि दर 5-7% तक सीमित थी, लेकिन नई नीति के तहत राजस्व में 35 फीसदी तक बढ़ोत्तरी की उम्मीद है.
दिल्ली सरकार का आंकलन है कि हर एक जोन के हिसाब से लगभग 265 करोड़ रुपये की कमाई होगी. इस तरह से सभी जोन की आवंटन प्रक्रिया पूरी होने के बाद करीब 8800 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. अहम बात यह है कि आरक्षित बोली का मूल्य 221 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था. टेंडर औसतन 20 फीसदी के प्रीमियम पर दिए गए थे, जिसमें औसतन बोली का मूल्य 265 करोड़ रहा है. नई दिल्ली जोन के लिए अधिकतम बोली 315 करोड़ रुपये लगी, जिसका प्रीमियम 45 फीसदी था. देशी शराब, लाइसेंसिंग और आयात शुल्क के राजस्व को शामिल करने के बाद कुल राजस्व 10 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाएगा.
इसके अलावा दिल्ली सरकार का कहना है कि नई नीति के तहत शराब की कीमतों को तर्कसंगत बनाने से नकली शराब को रोकने में मदद मिलेगी, पहले ज्यादा आबकारी दरों के चलते नकली शराब ज्यादा थी. साथ ही, पड़ोसी राज्यों से बिना शुल्क वाली शराब आना बंद हो जाएगी. क्योंकि पड़ोसी राज्यों में शराब दिल्ली की तुलना में सस्ती थी. नई नीति से सरकार को राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी. वहीं अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के शराब स्टोर भी दिल्ली में खुलेंगे जिससे उपभोक्ताओं को वॉक-इन शराब खरीदने का अनुभव मिलेगा. उन्हें अलग-अलग ब्रांड की शराब भी मिल सकेगी. दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मानक जांच प्रणाली भी स्थापित की जाएगी. जिसके ज़रिए निम्न गुणवत्ता वाली शराब पर नजर रखी जाएगी और उनकी बिक्री रोकी जाएगी.