Centre-Delhi dispute: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 11 अक्टूबर से दिल्ली (Delhi) के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग (Transfer-Posting) के मसले पर सुनवाई के संकेत दिए हैं. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बैठी 5 जजों की बेंच ने कहा है कि 27 सितंबर को सुनवाई की रूपरेखा और समय सीमा तय कर दी जाएगी. इस साल 6 मई को यह मसला संविधान पीठ को सौंपा गया था. बता दें कि दिल्ली सरकार अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है. 


4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र बनाम दिल्ली विवाद के कई मसलों पर फैसला दिया था. लेकिन सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मुद्दों को आगे की सुनवाई के लिए छोड़ दिया था. 14 फरवरी 2019 को इस मसले पर 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था. लेकिन दोनों जजों, जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का निर्णय अलग-अलग था.


2 जजों ने दिए थे अलग फैसले
जस्टिस सीकरी ने माना था कि दिल्ली सरकार को अपने यहां काम कर रहे अफसरों पर नियंत्रण मिलना चाहिए. हालांकि, उन्होंने भी यही कहा कि जॉइंट सेक्रेट्री या उससे ऊपर के अधिकारियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहेगा. उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग उपराज्यपाल करेंगे. उससे नीचे के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग दिल्ली सरकार कर सकती है. लेकिन जस्टिस भूषण ने यह माना था कि दिल्ली एक केंद्रशासित क्षेत्र है. उसे केंद्र से भेजे गए अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं मिल सकता. ऐसे में ये मसला 3 जजों की बेंच के पास भेज दिया गया था.


केंद्र ने की थी 5 जजों के बेंच की मांग
अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मांग रही दिल्ली सरकार की याचिका 6 मई को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली कि बेंच में लगी थी.सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि स्थिति अब बदल चुकी है. यह मसला पिछले साल गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से भी जुड़ा है. चूंकि, दिल्ली सरकार ने इस संशोधन को भी चुनौती दी है. इसलिए, दोनों पर साथ सुनवाई होनी चाहिए और मामला संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए.


पहली बार होगी 'ग्रीन' सुनवाई
कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले की ग्रीन (पर्यवारण के अनुकूल) सुनवाई करना चाहता है. इसलिए, सभी वकील भारी-भरकम फ़ाइल कोर्ट में लेकर आने की बजाय आईपॉड, टैब या दूसरे उपकरण का इस्तेमाल करें. इसके लिए अगर उन्हें ट्रेनिंग की ज़रूरत है तो कोर्ट इसके लिए तैयार है. सभी वकीलों की सुविधा के हिसाब से शनिवार या रविवार को यह ट्रेनिंग करवाई जा सकती है. बता दें कि इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, एम आर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पी एस नरसिम्हा होंगे. 


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