(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गणतंत्र दिवस परेड: कुछ मायूस होकर लौटे तो कुछ ने जमकर उठाया लुत्फ
मंच से दूर स्थित कतारों में बैठे लोगों में इस बात की निराशा जरूर थी कि वे प्रधानमंत्री मोदी को और बच्चों की प्रस्तुति नहीं देख पाए.
नई दिल्ली: समय से पहले पहुंचकर अंदर प्रवेश करने वाले लोग आराम से कुर्सियों पर विराजमान थे. लेकिन कुछ लोगों के लिए मामूली देरी ने भी परेड देखने के उनके मौके पर पानी फेर दिया. भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने नियत समय से पहले ही कुछ प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया था जिससे लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी और वे दूसरे द्वारों की तरफ भागते-दौड़ते नजर आए.
अथक प्रयास करने के बाद भी जिन लोगों को प्रवेश नहीं मिल सका वे जनसाधारण वाली पंक्ति में खड़े हो गए. प्रवेश पाकर खुश होने वाले लोगों के लिए राहें इतनी आसान नहीं थी. अंदर जाकर वे ऐसी जगह पहुंच गए जहां से कुछ भी नजर आना संभव नहीं था. इतने पर भी लोगों ने हार नहीं मानी और वे फिर दूसरे द्वार की तरफ जाने लगे. हर जगह से मनाही मिलने पर आखिरकार कई लोग निराश होकर घर लौटने लगे.
सांता क्लॉज का रूप धारण करके आए नजफगढ़ के अनिल सुरैया ने कहा कि वह हर मौके पर इसी तरह आते हैं. उनका मकसद शांति और सौहार्द का संदेश देना है. हालांकि उन्हें अंदर प्रवेश नहीं मिल सका. वहीं कनाडा से आई जेनिथ कहती हैं कि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. लेकिन वह इससे निराश नहीं हैं. उन्हें बाहर का माहौल देखकर भी उतनी ही खुशी मिल रही है. वह इससे दो साल पहले भी भारत आईं थीं तब उन्होंने बहुत लुत्फ उठाया था.
जेनिथ ने कहा कि उन्हें भारत से बेहद प्यार है. यहां के लोगों की राष्ट्र के प्रति भावनाएं देखकर वह बहुत प्रभावित होती हैं. उनके देश में भी कनाडा दिवस मनाया जाता है पर उसमें सेना की कोई भूमिका नहीं होती. वहां लोग जुदा अंदाज में जश्न मनाते हैं. दूसरी तरफ अंदर बैठे उत्साहित लोग तालियों और नारेबाजियों के जरिए परेड के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन कर रहे थे.
एक महिला इस सबमें इतनी मशरूफ हो गई थी कि उसे ध्यान ही नहीं रहा कि उसकी तीन साल की बच्ची कब बाहर निकल गई. लेकिन पुलिस की मुस्तैदी ने बच्ची को उस भीड़ में भी उसके परिवार से मिलवा दिया. एक महिला कॉन्स्टेबल ने बच्ची को सकुशल उसकी मां के सुपुर्द कर दिया. हालांकि महिला को पुलिस की फटकार भी खानी पड़ी.
अंदर बैठे लोगों में झाकियों के अलावा एक और बात चर्चा का विषय बनी हुई थी वह यह कि मोदी जी कहां बैठे हैं. मंच से दूर स्थित कतारों में बैठे लोगों में इस बात की निराशा जरूर थी कि वे प्रधानमंत्री मोदी को और बच्चों की प्रस्तुति नहीं देख पाए.
बीएसएफ के मोटरसाइकिल सवार दल 'सीमा वाहिनी' द्वारा करतब दिखाने के वक्त दर्शकों का उत्साह बहुत बढ़ गया और तालियां व वाहवाही जोर-जोर से होने लगी. वहीं, फ्लाई पास्ट शुरू होते ही उत्साह चरम पर पहुंच गया और अबतक कुर्सियों पर बैठे लोग खुद को खड़े होने से रोक नहीं पाए. बाहर निकलते हुए लोगों के चेहरे पर राष्ट्रभक्ति के भाव आसानी से पढ़े जा सकते थे. लोगों ने निकलते वक्त हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए.