Delhi Ordinance: दिल्ली के अधिकारियों की ट्रासंफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक केंद्र सरकार ने लोकसभा में मंगलवार (1 अगस्त) को पेश किया. इसे सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में रखा. इसको लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये अलोकतांत्रिक है. 


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुता्बिक आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा कहा, ''राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 दिल्ली में लोकतंत्र हटाकर बाबूशाही स्थापित करेगा. विधेयक संसद में आज तक का पेश सबसे अलोकतांत्रिक और अवैध दस्तावेज है.''


राघव चड्ढा ने आगे कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार से सभी अधिकार छीनकर उपराज्यपाल को देने वाला विधेयक है. उन्होंने बताया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (INDIA) के सभी सदस्य और संविधान का सम्मान करने वाले सदस्य इस विधेयक का पुरजोर विरोध करेंगे. 


विधेयक के कानून बनने के बाद क्या होगा?
यह विधेयक कानून बनने के बाद उपराज्यपाल को यह अधिकार प्रदान करेगा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती में अंतिम निर्णय उनका ही होगा. कैबिनेट ने 25 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. विधेयक को लेकर दिल्ली की आप सरकार और केंद्र के बीच तनातनी है. 


केंद्र सरकार विधेयक क्यों लेकर आई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती केजरीवाल सरकार के पास होगा. इससे पलटते हुए केंद्र सरकार अध्यादेश 19 मई को ले आई. इसकी जगह ही सरकार ने संसद में विधेयक पेश किया है. 


बता दें कि केजरीवाल की सरकार ने अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बीते कुछ महीनों के दौरान केजरीवाल ने देशभर की यात्रा की और विधेयक के खिलाफ समर्थन जुटाने और इसे राज्यसभा में पारित होने से रोकने के लिए विपक्षी नेताओं से मुलाकात की. 


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