Delhi Ordinance Bill: राज्यसभा में रंजन गोगोई के भाषण के दौरान जया बच्चन और प्रियंका चतुर्वेदी समेत 4 महिला सांसदों ने किया वॉकआउट, जानें वजह
Delhi Services Bill In Rajya Sabha: राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व सीजेआई और मौजूदा मनोनीत सांसद रंजन गोगोई के भाषण के दौरान चार महिला सांसदों ने उनका विरोध किया.
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Women MPs Protest Against Ranjan Gogoi: संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार (7 अगस्त) को राज्यसभा में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान जब मनोनीत सांसद रंजन गोगोई ने बोलना शुरू किया तो चार महिला सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
रंजन गोगोई का राज्यसभा में यह पहला भाषण था. वह भारत के प्रधान न्यायाधीश रह चुके हैं. सीजेआई रहने के दौरान रंजन गोगोई ने यौन दुर्व्यवहार के आरोपों का सामना किया था. इसी वजह से चार महिला सांसद गोगोई के भाषण का विरोध करते हुए राज्यसभा से बाहर चली गईं.
इन महिला सांसदों ने किया रंजन गोगोई का विरोध
राज्यसभा में रंजन गोगोई के भाषण के दौरान सदन से वॉकआउट करने वाली चार महिला सांसदों में समाजवादी पार्टी से जया बच्चन, शिवसेना (यूबीटी) से प्रियंका चतुर्वेदी, एनसीपी से वंदन चव्हाण और टीएमसी से सुष्मिता देव शामिल थीं.
क्या है रंजन गोगोई पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप का मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2019 में गोगोई को उनके दफ्तर में काम कर चुकी एक पूर्व कर्मचारी से यौन दुर्व्यवहार के आरोपों का सामना करना पड़ा था, जिसने #Metoo आंदोलन को फिर से सुर्खियों में ला दिया था, जिसके तहत महिलाएं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की बात करती आई हैं.
रंजन गोगोई ने यह कहते हुए आरोपों का खंडन किया था कि यह सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करने के लिए बड़ी ताकतों की ओर से की गई कोशिश थी, क्योंकि अदालत में संवेदनशील मामलों की सुनवाई की जानी थी. उन्होंने 2019 में कहा था कि न्यायपालिका की आजादी बेहद गंभीर खतरे में है, जो दयनीय है. सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त एक समिति नियुक्त कर मामले की आंतरिक जांच में पाया था कि आरोपों में कोई तथ्य नहीं था. समिति ने गोगोई को आरोपों से बरी कर दिया था.
रंजन गोगोई ने किया दिल्ली सेवा बिल का समर्थन
बता दें कि रंजन गोगोई ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में केंद्र की ओर से पेश किए गए राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 का समर्थन किया. यह बिल लंबी चर्चा के बाद उच्च सदन में भी पारित हो गया. गुरुवार (3 अगस्त) को इसे लोकसभा में पारित किया जा चुका है.
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