Delhi Ordinance: संकट में पड़ गई थी विपक्ष की बैठक, इस तरह नीतीश कुमार और ममता बनर्जी ने मिलवाया ‘आप’ से ‘हाथ’
Opposition Meeting In Bengaluru: सोमवार (17 जुलाई) को कर्नाटक के बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल हो रही है. कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश पर रुख भी साफ कर दिया है.
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Opposition Meeting: बेंगलुरु में सोमवार-मंगलवार (17-18 जुलाई) को होने वाली विपक्ष की बैठक से पहले आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच समझौता होने के बाद रविवार (16 जुलाई) की शाम होते-होते साफ हो गया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं. इससे पहले AAP ने कहा था कि जब तक कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख साफ नहीं करेगी तब तक वो विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं होगी.
अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि आखिर इस समझौते पर कांग्रेस कैसे राजी हो गई. दरअसल, एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा है कि पार्टी का इरादा हमेशा से ही अध्यादेश पर विरोध करने का था लेकिन मिस कम्युनिकेशन ने पूरे विपक्ष को ही संकट में डाल दिया था. आखिर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने मामले पर मध्यस्थता की फिर कहीं जाकर ये मसला सुलझा.
कांग्रेस क्यों गई साइलेंट मोड पर?
पिछले महीने जून की 23 तारीख को पटना में हुई विपक्ष की बैठक में कांग्रेस ने कहा था कि वो बीजेपी की किसी भी बात का समर्थन नहीं करेगी. उसकी संस्कृति सभी को साथ लेकर चलने की है. इसके बाद कांग्रेस नेता अजय माकन समेत दिल्ली के तमाम नेताओं ने इसका विरोध किया तो पार्टी साइलेंट मोड पर चली गई.
लेकिन अब अरविंद केजरीवाल की AAP ने अध्यादेश पर संसद में होने वाली लड़ाई के लिए कांग्रेस से हामी भरवा ली है. इससे पहले आम आदमी पार्टी ने साफ कहा था कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश पर अपना रुख साफ नहीं करती तब तक वो कांग्रेस के शामिल होने वाली किसी भी विपक्ष की बैठक में हिस्सा नहीं लेगी.
पंजाब में कांग्रेस नेता ओपी सोनी की गिरफ्तारी
इसी घटनाक्रम के बीच पंजाब में पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओपी सोनी को भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. पंजाब में AAP की सरकार है और इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान कर रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस और आप के बीच अड़चन पैदा हो गई. इसके जरिए अरविंद केजरीवाल ने संकेत देने की कोशिश की कि कांग्रेस का रुख साफ होने तक वो पीछे नहीं हटने वाले.
...जब मल्लिकार्जुन खरगे ने अरविंद केजरीवाल को किया फोन
इसी रिपोर्ट में एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सोमवार (17 जुलाई) को बेंगलुरु में कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली विपक्ष की बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अरविंद केजरीवाल को फोन भी किया था. हालांकि सीएम केजरीवाल ने बैठक में शामिल होने को लेकर हामी नहीं भरी.
फिर शनिवार (15 जुलाई) कांग्रेस की एक बैठक हुई लेकिन मामला वहीं का वहीं खड़ा दिखा. पार्टी अपना रुख साफ करने में असफल रही कि वो संसद में अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष के साथ खड़ी रहेगी. वहीं, कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश की ओर से मैसेज दिया गया जिससे विपक्ष एक बार फिर सकते में आ गया.
फिर हुई नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की एंट्री
मामले पर इतनी उथल-पुथल मचने के बाद सीन में नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की एंट्री होती है. सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने कहा कि इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व को समझाया कि वो अपना रुख साफ नहीं करेंगे तो विपक्ष की दीवार ढह सकती है और इसमें दिल्ली-पंजाब के आकार का छेद होने का डर है.
इसके बाद रविवार (16 जुलाई) को आप ने अपने नेताओं की एक बैठक बुलाई. इस बात की भनक ममता बनर्जी को लगी तो उन्होंने तुरंत मल्लिकार्जुन खरगे को फोन लगाया और उन्होंने पार्टी से तुरंत स्पष्टीकरण जारी करने के लिए कहा. इसके बाद केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस का रुख स्पष्ट किया.
फिर रविवार (16 जुलाई) की शाम होते-होते आप प्रवक्ता राघव चड्ढा ने बयान जारी किया और स्पष्ट हो गया कि बेंगलुरु में होने वाली बैठक में आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में शामिल होगी.
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