Delhi Ordinance: केंद्र के अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने की कवायद में जुटे सीएम अरविंद केजरीवाल का क्या है नंबर गेम? जानें
Delhi Ordinance Row: सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट कर अध्यादेश को कानून बनने से पहले राज्यसभा में रोकना चाहते हैं. जानें राज्यसभा के कुल 238 सदस्य में किसके पास कितने सांसद.
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Delhi Vs Centre: दिल्ली का बॉस कौन? इस सवाल का फैसला सुप्रीम कोर्ट कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि दिल्ली में जमीन, कानून व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सभी चीजों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा. लेकिन केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को ही पलट कर रख दिया. अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस अध्यादेश को कानून बनने से पहले ही रोकने के लिए विपक्षी दलों को लामबंद करने में जुट गए.
अरविंद केजरीवाल ने बीते 3 दिनों में बड़ी पार्टियों के 3 बड़े नेताओं ममता बनर्जी ,उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात की है. केजरीवाल इन तीन बड़ी पार्टियों का समर्थन जुटाने में कामयाब भी रहे. जबकि इससे पहले JDU से नीतीश कुमार और RJD से तेजस्वी यादव के साथ अरविंद केजरीवाल की मुलाकात हुई थी. जिसमें इन दोनों ने ही अपना समर्थन अरविंद केजरीवाल को देने की बात कही थी लेकिन राज्यसभा में अगर ये अध्यादेश बिल के रूप में आता है तो इसे गिराना इतना भी आसान नहीं होगा.
राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो 238 सदस्य है. इनमें से 5 नॉमिनेटेड है यानी 233 ही सदस्य वोट कर पाएंगे. कांग्रेस के पास राज्यसभा में 31 सांसद हैं. ऐसे में जिसके पास राज्यसभा में 117 वोट होंगे वो बाजी मार लेगा.
क्या है गणित?
बीजेपी के समर्थन में
- बीजेपी- 93
- बीजेडी- 9
- एआईएडीएमके- 4
- वाएसआर कांग्रेस- 9
AAP के समर्थन में-
आम आदमी पार्टी-10, तृणमूल कांग्रेस- 12, डीएमके 10, बीआरएस-9, आरजेडी-6, सीपीएम-5, जेडीयू-5, एनसीपी-4, एसपी-3, शिवसेना-3, सीपीआई-2, जेएमएम-2 और आरएलडी-1
कांग्रेस के बिना बिल को रोकना होगा मुश्किल
इसके अलावा बाकी जो पार्टियां हैं उन्होंने फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया है कि आखिर इस बिल के समर्थन में या फिर इसके विपक्ष में राज्यसभा में वोट करना है या नही. ऐसे में जो आंकड़ा आम आदमी पार्टी के समर्थन में इस वक्त नजर आ रहा है वो बिल को रोकने के लिए नाकाफी है. इस बीच आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस को साथ लाने की भी है. वो इसलिए भी क्योंकि बीजेपी के बाद सबसे बड़ा नंबर राज्यसभा में अगर किसी के पास है तो वो कांग्रेस पार्टी है लेकिन जिस तरह के बयान कांग्रेस नेताओं के AAP को लेकर सामने आ रहे हैं उसे देखकर लग रहा है मानो कांग्रेस ने AAP का साथ न देने का फैसला कर लिया है. हालांकि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने अब तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है.
अभी बेशक आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से बात न की हो लेकिन आम आदमी पार्टी इस बात को लेकर काफी भरोसे में है कि कांग्रेस उनका समर्थन जरूर करेगी और इस बिल को रोकने में AAP का साथ देगी. AAP के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में हमने विपक्ष के उम्मीदवार को वोट दिया, जहां भी उचित लगा हमने विपक्षी एकता का समर्थन किया है. अगर एकता हो तो यह बिल (अध्यादेश) राज्यसभा में गिर जाएगा. मुझे लगता है कि कांग्रेस हमारा इसमें साथ देगी. अगर वे साथ नहीं देते हैं तो हम कुछ और देखेंगे, इसीलिए हम सभी गैर कांग्रेसी दलों से भी लगातार मिल रहे हैं."
ऐसे में अगर कांग्रेस का समर्थन आम आदमी पार्टी को नहीं मिलता है तो फिर पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसके साथ ही BJD और YSR जैसे दल भी आम आदमी पार्टी के समर्थन में नहीं आते हैं तो इस बिल को पास होने से रोकना आम आदमी पार्टी के लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल हो जाएगा.
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