दिल्ली: 25 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो गया है. रमजान के दिनों में जामा मस्जिद का इलाका सबसे ज्यादा चहल-पहल वाला रहता था. हर वक्त हजारों लोगों का हुजूम सड़कों पर दिखता था. खाने-पीने की दुकानें खुली रहती थीं और दूर-दूर से लोग माहे रमजान की रौनक देखने के लिए जामा मस्जिद पहुंचते थे. वहीं कोरोना वायरस के बीच लॉकडाउन की स्थिति में लोगों ने अपने घरों में ही इफ्तार किया और नमाज भी घर पर ही अदा की.
जामा मस्जिद और आसपास की घनी आबादी वाले इलाके में प्रशासन की तरफ से संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सुबह-शाम में तीन-तीन घंटे की छूट दी जा रही है. पहले रोजे के दिन शाम तीन बजे से छह बजे तक छूट के दौरान लोगों ने अपने घरों से बाहर आकर जरूरत का सामान लिया.
छूट का टाइम खत्म होते ही छह बजे प्रशासन की तरफ से लोगों से अपील की गई कि छूट का वक्त खत्म होते ही लोग घरों में वापस चले जाएं. इलाके में प्रशासन और लोगों के बीच अच्छा तालमेल बना हुआ है. छह बजते ही पूरे इलाके में लोग घरों में चले गए. पहले रोजे के दिन जामा मस्जिद और आसपास की गलियों में सन्नाटा पसरा रहा.
रमजान में इबादत के लिए बड़ी संख्या में लोग जामा मस्जिद में पहुंचते थे. लेकिन कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन का पालन करते हुए लोग घर में ही इबादत कर रहे हैं. रोजेदारों के लिए इस बार भी 14 घंटे से ज्यादा का रोजा होगा. 24 अप्रैल की शाम को रमजान का चांद दिखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी को ट्वीट कर रमजान की मुबारकबाद दी.
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