नई दिल्ली: किसानों के ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने कई एफआईआर दर्ज किए हैं. दिल्ली पुलिस (ईस्टर्न रेंज) ने कहा कि आठ बसों और 17 प्राइवेट गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया. दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘ट्रैक्टर परेड’ के लिए जिन शर्तों पर पहले बनी सहमति बनी थी, उनका उल्लंघन किया. उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की, जिसमें कम से कम 86 पुलिसकर्मी घायल हो गए.


हथियार लेकर नहीं चलना, निर्धारित मार्ग का पालन करना और ट्रॉलियों के बिना ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में प्रवेश करना...वे कुछ शर्तें थीं जिस पर सहमति किसान नेताओं और पुलिस के बीच बनी थी लेकिन मंगलवार को ट्रैक्टर परेड में शामिल कई प्रदर्शनकारियों द्वारा इनका उल्लंघन किया गया. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के मार्च में इस शर्त का भी उल्लंघन किया गया कि एक ट्रैक्टर पर पांच से अधिक व्यक्ति सवार नहीं होंगे. यह ट्रैक्टर मार्च हिंसक हो गया और इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई स्थानों पर झड़प हुई.


किसान गाजीपुर बार्डर से आईटीओ की ओर निकले और लाल किला पहुंच गए. इन किसानों को पुलिस के साथ भिड़ते और पुलिसकर्मियों को लाठियों से मारते देखा गया. जब पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर प्रदर्शनकारियों की भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की तो उन्होंने पथराव किया. बसों और पुलिस की गाड़ियों सहित कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.


संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को किसानों की ट्रैक्टर परेड को रोक दिया और इसमें शामिल लोगों से तुरंत अपने विरोध स्थलों पर वापस जाने की अपील की. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने किसानों के गणतंत्र दिवस परेड को तत्काल प्रभाव से रोक कर दिया है और सभी प्रतिभागियों से अपील की है कि वे तुरंत अपने संबंधित विरोध स्थलों पर वापस लौट जाएं.’’ इससे पहले किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा में लिप्त हुए प्रदर्शनकारियों से खुद को अलग कर लिया और आरोप लगाया कि परेड में कुछ असामाजिक तत्व घुस गए थे.


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