संसद सत्र के बीच दिल्ली के जंतर-मंतर पर कल से किसानों का प्रदर्शन, इन शर्तों के साथ मिली इजाजत | जानें बड़ी बातें
प्रदर्शनकारी किसान सिंघू बॉर्डर से बसों के लिए जंतर-मंतर पहुंचेंगे. उन्हें कोविड प्रतिबंधों के चलते मार्च न निकालने की सलाह दी गई है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
दिल्ली पुलिस ने तीन नए कृषि कानूनों पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की कुछ शर्तों के साथ बुधवार की रात इजाजत दे दी. दिल्ली पुलिस की तरफ से यह कहा गया है कि किसानों को जंतर-मंतर पर इन शर्तों के साथ परमिशन दी गई है कि संयुक्त किसान मोर्चा के 200 से ज्यादा किसान इसमें शामिल नहीं होंगे जबकि और छह लोग किसान मजदूत संघर्ष समिति के रहेंगे. इन्हें रोजाना सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक प्रदर्शन की इजाजत लिखित तौर पर इस आश्वासन के साथ दी गई है कि यह शांतिपूर्ण रहेगा.
प्रदर्शनकारी किसान सिंघू बॉर्डर से बसों के लिए जंतर-मंतर पहुंचेंगे. उन्हें कोविड प्रतिबंधों के चलते मार्च न निकालने की सलाह दी गई है. दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसानों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. गौरतलब है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान बृहस्पतिवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शुरू करेंगे. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों द्वारा प्रदर्शन की विशेष अनुमति दे दी है.
उपराज्यपाल ने 9 अगस्त तक प्रदर्शन की दी इजाजत
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र यदि 13 अगस्त को समाप्त होगा तो जंतर-मंतर पर उनका विरोध प्रदर्शन भी 13 अगस्त तक जारी रहेगा. हालांकि उपराज्यपाल ने नौ अगस्त तक धरने की अनुमति दी है. इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान यूनियनों को शहर में अनुमति दी है.
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल, जो डीडीएमए के अध्यक्ष भी हैं, ने बृहस्पतिवार से 9 अगस्त तक हर दिन अधिकतम 200 किसानों द्वारा पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की मंजूरी दी है.
आदेश में कहा गया है, ‘‘उन्हें निर्दिष्ट बसों द्वारा पुलिस एस्कॉर्ट के तहत निर्धारित मार्ग से लाया जाएगा तथा उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार (मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, नियमित रूप से हाथ धोना और सैनिटाइटर आदि का उपयोग करना) और भारत सरकार और एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर कोविड-19 महामारी के संबंध में जारी अन्य सभी दिशानिर्देशों/निर्देशों/एसओपी का सख्त अनुपालन करना होगा.’’
पुलिस ने किया सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
सूत्रों ने बताया कि जंतर-मंतर पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे. डीडीएमए के एक आदेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने की वर्तमान में अनुमति नहीं है. देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा और उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा.
सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है. किसान यूनियनों की सरकार के साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है. एसकेएम ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान संसद से कुछ मीटर की दूरी पर जंतर-मंतर पर हर दिन 'किसान संसद' आयोजित करेंगे.
प्रदर्शनकारियों के पास पहचान का बैज होगा
मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद, एक किसान यूनियन के नेता ने कहा कि वे कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा. किसान यूनियन के नेता ने कहा था, ‘‘हम 22 जुलाई से मॉनसून सत्र समाप्त होने तक 'किसान संसद' आयोजित करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएंगे. प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा.’’
नेता ने कहा था, ‘‘पहले दो दिनों में एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी. बाद में अन्य विधेयकों पर भी हर दो दिन में चर्चा होगी.’’ राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा को बताया प्रत्येक दिन किसान पहचान पत्र लगाकर सिंघू सीमा से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए जाएंगे.
कक्का ने कहा, ‘‘हमने पुलिस को सूचित कर दिया है कि मानसून सत्र के दौरान हर दिन 200 किसान सिंघू सीमा से बसों में जंतर-मंतर जाएंगे. यह एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा और प्रदर्शनकारियों के पास पहचान का बैज होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब पुलिस ने हमें प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने के लिए कहा, तो हमने उन्हें कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा और आश्वासन भी दिया कि विरोध शांतिपूर्ण होगा.’’
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांगों को उजागर करने के के लिये 26 जनवरी को आयोजित ट्रैक्टर परेड राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई थी, क्योंकि हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था.
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