नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा मामले को पांच दिन बीत चुके है, लेकिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हाथ अभी तक खाली हैं. पुलिस सूत्रों की माने तो पुलिस ने कुछ लोगों की पहचान तो कर ली है लेकिन अभी तक गिरफ्तारी में कोई खास कामयाबी हाथ नहीं लगी है. इसके बाद अब शुक्रवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने जांच टीम से 5 दिनों की तफ्तीश का हिसाब मांगा है.
शुक्रवार को जेएनयू के सर्वर रूम की जांच करने के लिए और सुबूतों को इकट्ठा करने के लिए फॉरेंसिक टीम भी पहुंची. दरअसल, ये पूरा विवाद कहीं ना कहीं सर्वर रूम से ही शुरू हुआ. सर्वर रूम में तोड़फोड़ की गई और उसे पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. यही वजह कि सर्वर रूम के नष्ट हो जाने से दिल्ली पुलिस को अभी तक इस मामले से जुड़ा कोई भी फुटेज नहीं मिल पाया है.
सीसीटीवी फुटेज के ना होने से क्राइम ब्रांच को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है. पुलिस को सीसीटीवी की फुटेज अगर मिल जाती तो ये साफ हो जाता कि आखिरकार सर्वर रूम में तोड़फोड़ किसने की और नकाबपोश हमलावर यूनिवर्सिटी में कहां से दाखिल हुए. गौरतलब है कि 3 और 4 जनवरी को यहां सर्वर रूम को डेमेज किया गया था जिसकी वजह से कोई भी सीसीटीवी कैमरे ने काम करना बंद कर दिया था.
पुलिस के मुताबिक 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में पुलिस के पास अभी तक कुल 14 शिकायतें आई हैं. इसके अलावा पुलिस सूत्रों की माने तो उन्हें लगता है कि जेएनयू हिंसा की साजिश व्हाट्सएप के जरिए रची गई, क्योंकि क्राइम ब्रांच की टीम को व्हाट्सएप की कुछ ऐसी चैट भी मिली हैं जो हिंसा की तरफ इशारा करती है. फिलहाल पुलिस दावा कर रही है कि जेएनयू मामले पर जल्द खुलासा होगा.
जेएनयू हमला: पुलिस को मिलीं तीन और शिकायतें, अबतक कुल 14 शिकायतें दर्ज