JNU हिंसा के तीन दिन बाद भी किसी हमलावर को गिरफ्तार नहीं कर पाई दिल्ली पुलिस
पुलिस ने इस मामले में कुल 150 से ज्यादा लोगों की लिस्ट बनाई है, जो पिछले 3 दिन से कैंपस में चल रहे विवाद से कहीं न कहीं जुड़े हैं. क्राइम ब्रांच की SIT के सूत्रों की मानें तो उन्हें अब तक 100 से ज्यादा मोबाइल फोन की फूटेज मिली है.
नई दिल्ली: जेएनयू हिंसा मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है, लेकिन हिंसा के तीन दिन बाद भी अभी तक पुलिस किसी भी हमलावर को गिरफ्तार नहीं कर पाई है. पुलिस के सूत्रों का कहना है कि 3 और 4 जनवरी को सर्वर को डेमेज किया गया था जिसकी वजह से कोई भी सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था. पुलिस को अभी तक एक भी सीसीटीवी बरामद नहीं हुई है. बुधवार को क्राइम ब्रांच की टीम ने JNU कैंपस में सुरक्षा कर्मियों के बयान दर्ज किए, साथ ही सर्वर रूम में तोड़फोड़ से जुड़े अहम सबूत जुटाने का भी दावा किया. पुलिस सूत्रों की मानें तो 1 दर्जन से ज्यादा लेफ्ट समर्थित लोगों की पहचान कर ली गयी है जिन्होंने जेनएयू कैंपस में यूनिवर्सिटी के सर्वर रूम को तहस नहस किया था. लेकिन हॉस्टल में नकाब लगाकर मारपीट करने वालों के बारे में ठोस जानकारी नहीं जुटा पाई है.
पुलिस ने इस मामले में कुल 150 से ज्यादा लोगों की लिस्ट बनाई है, जो पिछले 3 दिन से कैंपस में चल रहे विवाद से कहीं न कहीं जुड़े हैं. क्राइम ब्रांच की टीम ने आज पेरियार होस्टल में जाकर कुछ एबीवीपी से जुड़े छात्रों से पूछताछ की और जानकारी मांगी. गुरुवार को पुलिस जेनएयू छात्र संघ के पदाधिकारियों से पूछताछ करेगी. क्राइम ब्रांच की SIT के सूत्रों की मानें तो उन्हें अब तक 100 से ज्यादा मोबाइल फोन की फूटेज मिली है. जिसमें कुछ लोगों के चेहरे साफ नज़र आ रहे हैं और कुछ ने चेहरे को कपड़े से ढका हुआ है. इन मोबाइल फोन की फुटेज को क्राइम ब्रांच की टीम अब फ्रेम टू फ्रेम देख रही है. हालांकि कुछ आरोपियों की पहचान हो चुकी है और क्राइम ब्रांच के सूत्रों का दावा है कि उन्हें जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
इसके अलावा पुलिस के सूत्रों की मानें तो उन्हें लगता है कि जेएनयू हिंसा की साजिश व्हाट्सएप के जरिए रची गई, क्योंकि क्राइम ब्रांच की टीम को व्हाट्सएप की कुछ ऐसी चैट भी मिली है जो हिंसा की तरफ ईशारा करती है. क्राइम ब्रांच ने हिंसा वाले दिन का करीब 1000 नम्बर का डम्प डेटा भी लिया है, ये वो नम्बर हैं जो उस दिन JNU के अंदर और बाहर एक्टिव थे. अब पुलिस इन नंबरों को खंगाल रही है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि जेएनयू में केवल मेन एंट्री गेट और एडमिन ब्लॉक में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन 3 जनवरी को छात्रों ने सर्वर रूम में तोड़फोड़ कर दी जिससे सर्वर बंद पड़ा था. जिसकी वजह से किसी सीसीटीवी कैमरे में कोई रिकॉर्डिंग नहीं हो पाई. यही वजह है कि क्राइम ब्रांच की एसआईटी के पास जेएनयू हिंसा से जुड़ी कोई भी सीसीटीवी फुटेज नहीं है.
अब पुलिस लोगों से अपील कर रही है कि अगर उनके पास हिंसा से जुड़ी कोई जानकारी, वीडियो और फ़ोटो है तो 7 दिन के अंदर पुलिस से शेयर करें. पुलिस के मुताबिक 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में पुलिस के पास अभी तक कुल 11 शिकायतें आई है, 3 शिकायतें abvp की हैं, जबकि 7 वामपंथी छात्रों ने की हैं और 1 प्रोफेसर सुचित्रा सेन की है. सभी की सभी शिकायतें क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की जा रही हैं.
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