Delhi Police Cyber Cell: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की रोहिणी जिले (Rohini District) की साइबर सेल (Cyber Cell) को बड़ी सफलता मिली है. सेल ने ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो लोन दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे थे. अहम बात ये है कि इस गिरोह के तार चीन (China) से जुड़े हुए थे और जिस व्हाट्सएप नंबर से ये गिरोह लोगों के साथ संपर्क करता था, वह चीन के आईपी एड्रेस (IP Adress) पर चल रहा था.
पुलिस का दावा है कि इस मामले में क्रिप्टोकरंसी का लेन-देन भी सामने आया है, जिसकी जांच की जा रही है. पुलिस के अनुसार गिरोह के सदस्य राजस्थान से ऑपरेट कर रहे थे, गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.
अपराधियों के पास से क्या हुई बरामदगी?
पुलिस के अनुसार आरोपियों के नाम दीपक, सुनील कुमार, देव किशन और सुरेश सिंह के रूप में की गई. ये आरोपी राजस्थान और मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं. इनके पास से 15 एटीएम/डेबिट कार्ड, 7 मोबाइल, 27 सिमकार्ड, एक डोंगल, एक लैपटॉप, एक टेबलेट, बीएमडब्लयू कार, 20 हजार रुपए नकद और अन्य सामान जब्त किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
रोहिणी डिस्ट्रिक के डीसीपी प्रणव तायल ने बताया कि मोहम्मद नदीम सैफी की तरफ से इस मामले को लेकर साइबर पुलिस थाने में शिकायत दी गयी थी. जिसमें बताया गया था कि उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया था कि आपका लोन स्वीकृत हो गया है. लोन की लीमिट 2 लाख रुपए से शुरू है, इसे लेने के लिए एक ऐप पर लोगिन करने के लिए कहा गया. पीड़ित ने लिंक पर क्लीक कर दिया. इसके बाद उसके पास एक वाट्सएप नंबर से कॉल आया. फोन करने वाले ने उसे लोन की 5 फीसदी रकम जमा करने के लिए कहा गया. कहा गया कि ये कंपनी के नियम हैं. साथ ही रकम को रिफंडेबल बताया गया. पीड़ित ने तीन किश्तों में चालीस हजार रुपए भेज दिए, जिसके बाद जालसाज ने उनसे संपर्क तोड़ दिया.
इस बाबत साइबर थाने में चीटिंग का केस दर्ज किया गया. एसीपी ऑपरेशन ईश्वर सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर अजय दलाल की टीम ने मामले की जांच शुरु की. पुलिस तहकीकात में पता चला कि ठगी की रकम मध्यप्रदेश में एक अकाउंट में ट्रांसफार की गई थी. इस अकाउंट में 75 लाख से ज्यादा की रकम दो दिन के भीतर ही ट्रांसफर ही चुकी थी.
कहां से ऑपरेट हो रहा था गिरोह?
पुलिस जांच में सामने आया कि ठगी का यह धंधा चितौडगढ, राजस्थान से ऑपरेट किया जा रहा था. पुलिस ने वहां रेड कर सभी आरोपियों को धर दबोचा. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें ठगी का ये आईडिया यूट्यूब चैनल से मिला था. वे कुछ चीनी नागरिकों से टेलीग्राम एप के जरिए संपर्क में आये थे, जो लोगों को ऑनलाइन लोन के बहाने से ठगते थे.
क्रिप्टोकरेंसी के जरिये चीन पहुंचाई गयी रकम
पुलिस का दावा है कि आरोपी के वाट्सएप का आईपी एड्रेस चीन (China) से ताल्लुक रखता है. आरोपी दीपक चीन से आने वाले मैसेज को गगूल ट्रांसलेटर की मदद से हिंदी में अनुवाद कर पढ़ता था. आरोपी ठगी की रकम में से डेढ़ प्रतिशत की रकम देकर बैंक अकाउंट का बंदोबस्त करते थे. ठगी की रकम को यूपीआई (UPI) के जरिए अलग अलग बैंक अकाउंट (Bank Account) में डलवाया जाता था. इसके बाद उस रकम को क्रिप्टो करंसी (Crypto Currencey) में तब्दील कर चीन भेज दिया जाता था.