आर्थिक अपराध शाखा ने अपना आशियाना का सपना संजोने वाले लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी करने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि उस शख्स ने एक ऐसी जमीन पर लोगों को आशियाना उपलब्ध कराने का दावा किया, जो उसके नाम पर थी ही नहीं. इतना ही नहीं, उस जमीन की लीज भी खारिज कर दी गई, क्योंकि उस शख्स ने उसकी पेमेंट यूपी सरकार को नहीं चुकाई थी. आरोप है कि उस शख्स ने कई लोगों से करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए ठग लिए. आरोपी का नाम सिद्धार्थ बरमेचा है.


क्या है मामला?


आर्थिक अपराध शाखा के एडिशनल कमिश्नर पुलिस आर.के. सिंह का कहना है रचित चावला और 12 अन्य लोगों ने मेसर्स बालाजी बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दी. इसमें उन्होंने बताया कि उक्त रियल एस्टेट कंपनी ने वसुंधरा गाज़ियाबाद में एक प्रोजेक्ट लांच करने की बात कही. इन लोगों ने एक अन्य रियल एस्टेट ब्रोकर कंपनी निओ ब्रिक्स कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के मार्फ़त उस प्रोजेक्ट की जानकारी जुटाई थी और उसी के माध्यम से आगे बढ़े थे.


अप्रैल 2012 में उक्त शिकायतकर्ता सचिन दत्ता और सिद्धार्थ बरमेचा से भी मिले, जिन्होंने दावा किया कि उनके पास इस प्रोजेक्ट की सभी जरूरी मंजूरी हैं और ये प्रोजेक्ट 3 साल में पूरा हो जाएगा. इसके बाद रचित चावला और अन्य 12 शिकायतकर्ताओं ने जुलाई 2012 से जनवरी 2013 के बीच 1 करोड़ 29 लाख 59 हजार 784 रुपये उक्त प्रोजेक्ट के नाम पर दिए. अप्रैल 2013 में इन लोगों ने पाया कि प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं किया गया है. शिकायत के आधार पर पुलिस में 4 साल बाद जाकर 2017 में इस सम्बंध में बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.


जांच में क्या सामने आया?


पुलिस ने जांच शुरू की तो यूपी आवास विकास परिषद से जमीन की जानकारी मांगी तो मालूम हुआ कि जिस कंपनी ने प्रोजेक्ट लांच किया था, उसके पास अथॉरिटी से कोई परमिशन नहीं थी. बाद में उस जमीन का एग्रीमेंट भी कैंसिल कर दिया गया था. पुलिस ने जब बैंक खातों का ऑडिट किया तो पाया कि आरोपियों ने अपने आशियाने का सपना देखने वाले कई लोगों से साढ़े चार करोड़ रुपये जुटाए थे. लेकिन 9 साल बाद भी किसी भी व्यक्ति को न तो घर मिला और न ही प्लॉट. पुलिस ने सिद्धार्थ बरमेचा को गिरफ्तार कर लिया है.


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