नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के दौरान नेताओं की संलिप्तता के सबूत नहीं मिले हैं. सोमवार को उच्च न्यायालय में पुलिस ने बताया कि जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चलता हो कि नेताओं ने हिंसा को उकसाया या उसमें हिस्सा लिया.
दिल्ली पुलिस ने दायर किया हलफनामा
दिल्ली हिंसा को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं. जिनके जवाब में पुलिस का बयान आया है. याचिकाओं में आरोप लगाये गये थे कि कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा समेत भाजपा नेताओं ने नफरत भरे भाषण दिये थे जिससे हिंसा भड़की. एक अन्य अर्जी में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष सिसोदिया, आप नेता अमानतुल्ला खान और एआईएमआईएम विधायक वारिस पठान के भी घृणा भरे भाषण दिए जाने की बात कही गई थी.
दिल्ली दंगों में नेताओं की संलिप्तता से इंकार
इन अर्जियों के जवाब में पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे से जुड़े सभी मामलों में अब तक जांच की गई है. इस दौरन पुलिस के सामने ऐसा कोई कार्रवाई योग्य सबूत सामने नहीं आया है जो रिट याचिकाओं में व्यक्तियों की दंगा भड़काने या उसमें हिस्सा लेने की भूमिका का संकेत करता है.’’ गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा में में कम से कम 53 लोगों की जान चली गई थी. आरोप लगाया गया था कि दंगों की शुरुआत राजनीतिक दलों के नेताओं के भड़काऊ भाषण के कारण हुए. सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के सामने यह हलफनामा दिया गया. अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी.
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