Hate Speech Case: दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह धर्म संसद मामले दाखिल याचिका खारिज कर दे. मामले पर जवाब दाखिल करते हुए पुलिस ने कहा है कि ने न तो पुलिस को शिकायत दी, न किसी और एजेंसी को. सीधा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इस तरह न तो वह शिकायतकर्ता है, न ही पीड़ित. उसने ऐसा दिखाने की कोशिश की जैसे सुप्रीम कोर्ट के अलावा देश में और कोई संस्था काम ही नहीं कर रही. यह प्रवृत्ति गलत है. कोर्ट को इसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए.
दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे की तरफ से दाखिल हलफनामे में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता कुर्बान अली की याचिका दो कार्यक्रमों के बारे में है. एक कार्यक्रम 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुआ और दूसरा 19 दिसंबर को दिल्ली के गोविंदपुरी में. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 17 दिसंबर का कार्यक्रम दूसरे राज्य का है. इसलिए, उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. लेकिन उसने 19 दिसंबर को हुए कार्यक्रम की बारीकी से जांच की है और यह पाया है कि याचिका में लगाए गए आरोप सही नहीं हैं.
हलफनामे में कहा गया है कि हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से 19 दिसंबर को आयोजित इस कार्यक्रम के बारे में उसे डॉ. एस.क्यू.आर. इलयास समेत दूसरे लोगों से शिकायत मिली थी. शिकायत विशेष रूप से सुदर्शन टीवी के सुरेश चव्हाणके के खिलाफ थी. पुलिस ने पूरे वीडियो की जांच की. उसमें ऐसा कहीं नहीं मिला कि किसी समुदाय के संहार की बात कही गई हो या उसे भारत में अवैध रूप से रहने वाला, हिंदुओं पर जुल्म करने वाला कहा गया हो.
दिल्ली पुलिस ने आगे कहा है कि अगर किसी समुदाय के लोग अपने हितों की बात करने के लिए कार्यक्रम करते हैं, तो इसमें कानूनन कुछ गलत नहीं. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पूरी याचिका सिर्फ आशंका पर आधारित है कि वहां कही गई बातें मुसलमानों के लिए खतरनाक हो सकती हैं. लेकिन भाषणों को बारीकी से जांचने के बाद ऐसा नहीं लगता कि उससे किसी को भी कोई सीधा खतरा हो. वहां कही गई बातें 'हेट स्पीच' के दायरे में नहीं आतीं. सभी को कानून के दायरे में अपनी बात कहने देना ही लोकतंत्र है. याचिकाकर्ता ने इधर-उधर की बातें जोड़ कर तथ्यहीन याचिका दाखिल की है. याचिका को न सिर्फ खारिज किया जाना चाहिए, बल्कि याचिकाकर्ता से हर्जाना भी वसूला जाना चाहिए.
पूरे मामले पर शुक्रवार, 22 अप्रैल को सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड पुलिस से भी हरिद्वार में हुए कार्यक्रम को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. जनवरी में कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी होने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए यति नरसिंहानंद समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था.
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