नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम है लेकिन इसे “मूकदर्शक बने रहने और कार्रवाई न करने के” ऊपर से आदेश मिलते हैं. केजरीवाल का इशारा जेएनयू और जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय में हाल में हुई हिंसा में पुलिस की भूमिका की तरफ था.
आम आदमी पार्टी के सातवें टाउनहॉल बैठक को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने पूछा कि अब किस भरोसे से छात्र विश्वविद्यालय जाएंगे. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर दिल्ली पुलिस को कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश देने का भी आरोप लगाया.
बता दें कि जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे ही कई हैरान करने वाली बातें सामने आ रही हैं. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया. साजिशकर्ता ने इस घटना को अंजाम देने के लिए बाकायदा कोडवर्ड्स का इस्तेमाल किया. पुलिस के सामने कई व्हाट्सएप ग्रुप के चैट सामने आए हैं जिससे लगता है कि इन ग्रुप को इस हमले को अंजाम देने के लिए इंफॉर्मेशन साझा करने के लिए बनाया गया था. जिसमें हमलावरों को यह भी बताया गया कि जेएनयू के वह कौन से रास्ते हैं जहां से वह आसानी से जेएनयू कैंपस में दाखिल हो सकते हैं.
इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो हमलावरों के पास हॉस्टल के सभी कमरों की पूरी जानकारी थी कि कौन सा छात्र किस कमरे में रहता है और किस स्टूडेंट यूनियन से ताल्लुक रखता है. यही वजह है कि हमलावर आईडेंटिफाई करके छात्रों पर हमला कर रहे थे. घटना के 2 दिन बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की चीफ शालिनी सिंह भी मंगलवार दोपहर क्राइम ब्रांच के अफसरों के साथ जेएनयू पहुंचीं.
शालिनी सिंह को जल्द ही इस मामले की रिपोर्ट होम मिनिस्ट्री को सौंपनी है. जो यह पता लगाएगी कि आखिरकार पूरा घटनाक्रम कैसे हुआ. यही वजह है कि ज्वाइंट सीपी शालिनी सिंह ने घटना की जांच करते हुए जेएनयू के साबरमती, पेरियार हॉस्टल, हॉस्पिटल और दूसरी जगह का मुआयना किया. साथ ही छात्रों के बयान दर्ज किए जिससे पूरे घटनाक्रम को जोड़ा जा सके.
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