रेप पीड़िता का भी कराया जा रहा है कोरोना टेस्ट, दिल्ली पुलिस ने एहतियातन उठाया कदम
रेप के मामलों में पीड़िता को अदालत में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है. यही वजह है कि जांच अधिकारी और मजिस्ट्रेट को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए अब पुलिस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पीड़िता संक्रमित है या नहीं.
नई दिल्लीः कोरोना की वजह से बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस के कर्मचारी संक्रमित हुए हैं, जिसको लेकर दिल्ली पुलिस तमाम तरह के एहतियात बरत रही है. न केवल एहतियात बल्कि अपनी पुलिसिंग में भी काफी बदलाव ला चुकी है. इसी क्रम में दिल्ली पुलिस अब दुष्कर्म की पीड़िता का भी कोरोना टेस्ट करवा रही है.
इसके पीछे वजह यही है कि पीड़िता के जो बयान मजिस्ट्रेट के सामने कराए जाने होते हैं, जिन्हें 164 के बयान भी कहा जाता है. उससे पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि पीड़िता कोरोना पॉजिटिव तो नहीं है, क्योंकि पीड़िता को अदालत में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है. जिसके लिए जांच अधिकारी पीड़िता को अपने साथ लेकर मजिस्ट्रेट के समक्ष जाते हैं, यही वजह है कि अब पुलिस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि पीड़िता संक्रमित है या नहीं, ताकि न तो जांच अधिकारी और न ही मजिस्ट्रेट कोरोना बीमारी से संक्रमित हो सके.
अप्रैल में रेप पीड़िता पाई गई थी कोरोना पॉजिटिव
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अप्रैल महीने में नबी करीम थाने में रेप का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन बाद में पता चला कि पीड़िता कोरोना पॉजिटिव है, जिसके बाद काफी अफरा तफरी का माहौल हो गया था. आरोपी पहले ही जेल जा चुका था, लेकिन जैसे ही पीड़िता के कोरोना पॉजिटिव होने की बात सामने आई तो तुरंत ही आरोपी को जेल में आइसोलेट करवाया गया. इतना ही नहीं जांच अधिकारी भी इस वहम में आ गए कि उन्हें भी यह संक्रमण न लग जाए. जिसके बाद यह तय किया गया कि अब आरोपी के साथ-साथ पीड़िता का भी कोरोना टेस्ट कराया जाएगा.
लॉकडाउन में कम हुए रेप के मामले
दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार राजधानी में लॉकडाउन के दौरान रेप के मामलों में कमी देखने को मिली है, लेकिन यह अपराध पूरी तरह से बंद नहीं हुआ. जो भी मामले सामने आ रहे हैं, उसमें अब आरोपी और पीड़िता दोनों का ही कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है. असल में कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें पीड़िता अपने परिवार के पास नहीं जाना चाहती तो उसे नारी निकेतन या फिर अन्य किसी संस्था में रखा जाता है. इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि पीड़िता का भी कोरोना टेस्ट कराया जाए, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उसे नारी निकेतन आदि में भेज दिया जाता है और अगर वह अपने घर वापस लौटना चाहती है तो घर भी वापस जा सकती है.
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