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दिल्ली पुलिस: सालों के इंतजार के बाद 25 हजार पुलिसकर्मियों को मिला प्रमोशन
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस में कई सालों से नौकरी कर रहे जवानों के चेहरे पर ख़ुशी नजर आई क्योंकि आज इनकी वर्षों की मेहनत प्रमोशन में तब्दील हुई है. दिल्ली पुलिस में 20-30 साल से एक ही रैंक पर नौकरी कर रहे और जंग लग चुके सिस्टम से उम्मीद छोड़ चुके पुलिसकर्मियों को जब इस बार प्रमोशन मिला तो कुछ तो इमोशनल हो गए और कुछ बेहद खुश है क्योंकि सालों बाद ही सही आज उनके समाज में परिवार में उनकी अहमियत और बढ़ गई है.
असल में दिल्ली पुलिस में पहली बार बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियो का प्रमोशन किया गया है. सालों से पुलिस विभाग में प्रोमशन शब्द सुनने को भी नहीं मिलता था लेकिन इस बार अचानक दिल्ली पुलिस कमिश्नर आलोक वर्मा ने पूरी फ़ोर्स में से 35 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को एक साथ प्रमोशन दिया है. 85000 पुलिसकर्मियों की फ़ोर्स में से 25,000 पुलिसवालो को प्रमोशन दिया गया है जो किसी भी सरकारी विभाग में पहली बार है और इसलिए दिल्ली पुलिस इस प्रमोशन के काम को लिम्का बुक ऑफ आवर्ड के लिए भी एप्लाई कर रहा है. ऐसे ही कुछ पुलिसकर्मियों से हमने बात की जिन्हें सालों बाद प्रमोशन मिला है. दिल्ली पुलिस में बतौर एएसआई अशोक कुमार ने 1985 में दिल्ली पुलिस बतौर कांस्टेबल ज्वाइन की थी. 2007 में वो हेड कांस्टेबल बने यानी कई साल बाद पहला प्रमोशन और अब 2016 में उन्हें एएसआई बनाया गया. हालांकि इस प्रमोशन से अशोक खुश है क्योंकि उनका परिवार भी गर्व महसूस कर रहा है लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि अगर समय रहते प्रमोशन होता रहता तो आज वो और ऊंचे पद पर हो सकते थे. सतेंद्र कुमार ने 1995 में दिल्ली पुलिस बतौर कांस्टेबल ज्वाइन किया था. 21 साल बाद उन्हें प्रमोशन मिला है अब ये हेड कांस्टेबल बन गए हैं. वे पुलिस कमिश्नर का शुक्रिया अदा कर रहे है. अब गाँव में इन्हें हवलदार और इनकी पत्नी को हवलदारनी के नाम से बुलाया जाता है जिससे इन्हें अच्छा महसूस होता है. इसी तरह 1986 में कांस्टेबल के पद पर आए योगराज का 31 साल की सर्विस के बाद प्रमोशन हुआ है. वे खुश हैं लेकिन अगर समय से प्रमोशन होता तो आज हेड कांस्टेबल की जगह सब इंस्पेक्टर के पद पर होते. इसी तरह 1990 में ज्वाइन करने वाले वीरेंद्र सिंह भी आज बेहद खुश हैं क्योंकि सालो बाद उन्हें एएसआई बना दिया गया है. इस प्रमोशन के लिए सभी पुलिस कमिश्नर आलोक वर्मा के शुक्रगुजार हैं क्योंकि आलोक वर्मा ने पुलिस के प्रमोशन पर ध्यान दिया है. हालांकि अब पुलिसकर्मियों को उम्मीद है कि आगे भी समय से प्रमोशन मिला करेगा जिससे पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा. लेकिन इतने सालों तक फाइलों में धुल खाते प्रमोशन एक जीता जागता नमूना है सरकारी तंत्र के काम करने के लाचार तरीके का.
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तहसीन मुनव्वरवरिष्ठ पत्रकार
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