Raaj Ki Baat: हिंदुस्तान में पुलिस रिफॉर्म्स की बात तो लंबे समय से चल रही है लेकिन उसका जमीन पर कितना अमल हो पाया ये किसी से छिपा नहीं है. छोटे शहरों से लेकर माहनगरों तक की पुलिस और पुलिसिंग की खामियां सरकार और सिस्टम की भद्द पिटवाती रहती है. ऐसी लचर पुलिस व्यवस्था में केवल जनता ही नहीं बल्कि पुलिस के जवान भी पिसते हैं. जवान पिसते हैं तो कार्यक्षमता प्रभावित होती है और जब कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है तो फिर पूरा सिस्टम अपनी बुनियाद से हिलना शुरु हो जाता है.


अब आपको बताते हैं इसी पुलिसिंग से जुड़ी राज की बात. राज की बात ये है कि देश की राजधानी दिल्ली में ये हालात बहुत जल्द बदलने वाले हैं. राज की बात ये है कि दिल्ली पुलिस के पुलिसकर्मियो की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए उनके वर्किंग कंडीशन में बड़े बदलाव की तैयारी शुरु हो गई है. राज की बात ये है कि आने वाले वक्त में दिल्ली पुलिस वर्क कंडीशन के मामले में मुंबई पुलिस से बेहतर स्थिति में पहुंचने वाली है. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये सब होगा कैसे, और इस मुहिम की शुरुआत कैसे हुई, तो चलिए पूरी राज की बात आपको विस्तार से बताते हैं.


दरअसल, दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृहमंत्रालय के अंतर्गत आती है और ये जिम्मा है केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास. अमित शाह का वर्किंग स्टाइल क्या है ये भी सब जानते हैं. राज की बात ये है कि तमाम रिफॉर्म्स के बाद अब गृहमंत्री ने दिल्ली पुलिस की रूपरेखा बदलने पर फोकस शिफ्ट कर दिया है लिहाजा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना भी एक्शन में हैं.


अब सवाल ये है कि इतने बड़े सिस्टम में बदलाव शुरु कहा से किया जाए तो दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने तय किया कि सबसे पहले काम करने के माहौल में बदलाव हो जिससे पुलिस पर प्रेशर को कम किया जा सके. प्रेशर कम होगा तो एफीसिएंशी अपने आप बढ़नी शुरु हो जाएगी. लिहाजा दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने तय किया है कि निचले स्तर पर पुलिस के वर्किंग आवर को 3 शिफ्ट में बांटा जाए. जबकि मौजूदा हालात ये हैं कि काम करने की कोई सीमा ही तय नहीं है.


दिल्ली पुलिस में अगर 3 शिफ्ट का ये फॉर्मूला लागू होता है तो एक बड़ी राहत पुलिसकर्मियों को मिलेगी और दिल्ली की पुलिस देश की पहली पुलिस होगी जहां 3 शिफ्ट का सिस्टम होगा. अभी तक देश में केवल मुंबई पुलिस है जहां 2 शिफ्टों की व्यवस्था लागू है.


निचले स्तर पर 3 शिफ्टों में काम करने की व्यवस्था के साथ इंस्पेक्टर लेवल पर 2 शिफ्ट करने पर काम जारी है. जानकारी के मुताबिक अब थानों में एसएचओ के साथ 6 इंस्पेक्टर्स की तैनाती होगी. ये इंस्पेक्टर्स 2 शिफ्टों में अपनी ड्यूटी देंगे. शिफ्ट के साथ ही साथ काम के दबाव को कम करने के लिए इंसपेक्टर की जिम्मेदारी भी फिक्स होगी. शिफ्ट में तैनात इंस्पेक्टर्स में एक इन्वेस्टिगेशन देखेगा, दूसरा कानून व्यवस्था और तीसरे की रिजर्व ड्यूटी लगाई जाएगी. इस व्यवस्था कार्यक्षमता के बढ़ोत्तरी के साथ ही साथ दबाव की कम होगा.


मामलों की जांच और रिपोर्टिंग में तेजी के लिए भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कई अहम फैसले लिए हैं. मसलन अभी तक जो पीसीआर एक अलग विंग के तौर पर काम कर रही थीं उन्हें अब थानों से संबद्ध कर दिया गया है. पहले होता ये था कि एक घटना पर पहले पीसीआऱ पहुंचती थी और उसके बाद संबंधित थाना पहुंचता था. मतलब ये कि दोगुनी संख्या पुलिसकर्मियों की हो जाती थी. अब जब पीसीआर थानों से संबद्ध हो गई है तब दोहरी फोर्स भेजने की जरूरत समाप्त हो गई और केवल इस फैसले से ही लगभग साढ़े 5 हजार फोर्स फ्री हो गई जिसे बेहतर कानून व्यवस्था में लगाया जा सकता है और ये फ्री फोर्स 3 और 2 शिफ्ट का फॉर्मूला लागू करने में भी मददगार साबित होगी.


दिल्ली के तमाम महत्वपूर्ण संस्थानों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती है ऐसे में पुलिस उनके सहयोग के लिए तो रहेगी लेकिन नई व्यवस्था में पूरा फोकस कानून व्यवस्था मेंटेंन करने पर किया जाएगा.


इसके साथ ही साथ इन्वेस्टिगेशन और कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एक और फैसला लिया गया है. अब तक काम का तरीका ये था कि किसी घटना से संबंधित फाइल अधिकारियों को अगले दिन उनके दफ्तर में दी जाती थी लेकिन अब घटना के दिन ही उन फाइल्स को अधिकारियों तक पहुंचाना होगा. इसके साथ सही साथ एक सेक्रेटेरिएट भी बनाया गया है जो सीधे तौर पर थानों पर और उनकी कार्रवाई पर नजर बनाए रखेगा.


दिल्ली में जारी पुलिस रिफॉर्म की मूल भावना ये है कि अधिकारियों की वरीयता के बजाय उस फोर्स के हित और समस्याओ पर फोकस किया जाए जो जमीन पर जूझती है और सीधे तौर पर कानून व्यवस्था के सुधार में लगती है. यही वजह है कि कि पुलिस अधिकारियों को ये निर्देश भी कमिश्नर की तरफ से दिए गए हैं कि निचले लेवल पर जो भी मदद पुलिसकर्मियों को मिलती है वो बिना लाग लपेट के उन्हें दी जाए. उन्हें किसी योजना का फायदा नहीं दिया जा रहा तो फिर अधिकारियों को उसका कारण बताना होगा.


इस पहल का सीधा मक्सद ये है कि ग्राउंड पर काम करने वाली फोर्स की दक्षता अगर बढ़ानी है तो उनका वर्क प्रेशर भी कम करना होगा और मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें ये महसूस भी कराना होगा कि विभाग और अधिकारी उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं.


पुलिस का मनोबल बढ़ाने के साथ ही साथ छवि बदलने की मुहिम की चल पड़ी है. अपराधियों को पकड़ने के नाम हो होने वाले फर्जी एनकाउंटर्स पर भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर की निगाहें है. गैलेंट्री अवॉर्ड के लिए फर्जी एनकाउंटर के वाली प्रवृत्ति पर भी लगाम लगाने की ताकीद पुलिसकमर्मियों को दी गई है.


तो दिल्ली की पुलिस आने वाले कुछ वक्त में बदलने जा रही है. इस बदलाव से जहां दिल्ली को फायदा होगा वहीं दिल्ली पुलिस देश के सामने एक नजीर के तौर पर भी पेश होगी. और इसी नजीर के लिए अमित शाह की खींची लकीर पर राकेश अस्थाना ने बदलाव का बीड़ा उठाकर परिवर्तन शुरु कर दिया है.


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