Delhi Pollution: इस बार भी बायो-डिकम्पोज़र घोल का मुफ्त छिड़काव कराएगी दिल्ली सरकार, 24 सितंबर से होगी घोल बनाने की शुरुआत
Delhi Pollution: पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार अलग-अलग विभागों के साथ बैठक करके विंटर एक्शन प्लान बना रही है, जिसे 30 सितंबर तक तैयार किया जाएगा.
Delhi Pollution: दिल्ली में हर साल ठंड बढ़ने के साथ ही वायु की गुणवत्ता खराब होने लगती है. इस बार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान तैयार कर रही है. इसके साथ ही पराली से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर बायो-डिकम्पोज़र घोल बनाने की प्रक्रिया भी समय रहते ही शुरू करने का एलान दिल्ली सरकार ने कर दिया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि इस बार भी सभी किसानों के लिए ये घोल निःशुल्क मुहैया कराया जाएगा. साथ ही, पिछली बार सिर्फ नॉन-बासमती खेतों में छिड़काव किया गया था लेकिन इस बार बासमती और नॉन-बासमती दोनों ही तरह के लिए ये सुविधा दी जाएगी. 24 सितंबर से बड़े पैमाने पर घोल बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार अलग-अलग विभागों के साथ बैठक करके विंटर एक्शन प्लान बना रही है, जिसे 30 सितंबर तक तैयार किया जाएगा. इसके बाद इस पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की जाएगी और चर्चा के बाद दिल्ली का विंटर एक्शन प्लान घोषित कर दिया जाएगा. पराली की समस्या पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में एक अहम रोल पराली का होता है. सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत में वायु की गुणवत्ता पर इसका असर पड़ता है. कई क़ानून बनाये गये, कई तरह के दंड लगाए गए लेकिन समाधान नहीं निकला.
गोपाल राय ने कहा कि पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर हमने पिछले साल बायो डिकम्पोज़र घोल का छिड़काव कराया जिसका काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स निकला. इसके असर को लेकर हमने एक थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जिसकी रिपोर्ट एयर क्वालिटी कमिशन को हमने सौंपी है. पिछली बार 5 अक्टूबर से घोल बनाना शुरू किया गया था. कई किसानों का कहना था कि थोड़ी जल्दी तैयारी करनी थी जिससे गेहूं की बुआई के लिए उन्हें समय मिल पाए. इसलिए इस बार हम 24 सितंबर से घोल बनाने की शुरुआत करेंगे. इस बार भी कड़कड़ी नाहर में घोल बनाने का काम किया जाएगा जहां पिछली बार बनाया गया था. 29 सितंबर तक घोल की मात्रा को दुगुना कर लिया जाएगा और 5 अक्टूबर से जहां भी किसानों की मांग आएगी वहाँ छिड़काव शुरू कर देंगे.
पर्यावरण मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछली साल केवल नॉन-बासमती खेत में करीब 2000 एकड़ खेत में छिड़काव कराया था, लेकिन इस बार बासमती और नॉन-बासमती दोनो में ही छिड़काव कराया जाएगा. शर्त बस ये होगी कि हार्वेस्टर से फसल की कटिंग हुई हो और खेत मे डंठल हो. इस बार भी दिल्ली सरकार सभी किसानों के खेत में निःशुल्क छिड़काव कराएगी. 25 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है जो किसानों की डिमांड का लेखा जोखा रखेगी और किसानों से फ़ॉर्म भरवायेगी.
पिछली करीब 2 हज़ार एकड़ खेत में बायो-डिकम्पोज़र घोल का छिड़काव कराया गया था, जबकि इस बार पहले ही 4 हज़ार एकड़ में छिड़काव कराने की डिमांड आ चुकी है. गोपाल राय ने कहा कि 4 हज़ार एकड़ में छिड़काव कराने की तैयारी हम शुरू कर चुके हैं. मांग बढ़ने पर प्रोडक्शन और बढ़ाया जाएगा. पूसा के वैज्ञानिकों के साथ साझा तौर पर ये सारी प्रक्रिया चलाई जाएगी. 1 एकड़ में 10 लीटर घोल की ज़रूरत पड़ती है. 1 एकड़ के लिए 4 कैप्सूल, 250 ग्राम गुड़ और 150 ग्राम बेसन मिलाते हैं और इसको पकाते हैं. पिछली बार लगभग 25 लाख का खर्च आया था इस बार 50 लाख का खर्च आने का अनुमान है.
गोपाल राय ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली की समस्या और बायो-डिकम्पोज़र के छिड़काव को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय मांगा था लेकिन अभी तक समय नहीं मिला है. अगर अभी सरकार निर्णय नहीं लेगी तो देर हो जाएगी. कम से कम पराली के लिए तुरंत निर्णय लेने की ज़रूरत है. हम इस बार 10 दिन पहले इस पूरी प्रक्रिया को शुरू करने जा रहे हैं. केंद्र से अपील है कि इसे इमरजेंसी सिचुएशन की तरह समझें.