Delhi Pollution: दिल्ली-NCR प्रदूषण पर सरकार और कोर्ट मौसम के भरोसे, सुनवाई 24 नवंबर के लिए टली
Delhi Pollution: कोर्ट ने कहा- यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर ज़िम्मा डालना चाहते हैं. क्या उन्हें पता है कि औसत किसान की ज़मीन का आकार क्या है?
Delhi-NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार के इस सुझाव को मान लिया कि दिल्ली एनसीआर प्रदूषण मामले पर कोई आदेश देने से पहले कोर्ट 21 नवंबर तक इंतजार करें. केंद्र का कहना था कि मौसम विभाग की रिपोर्ट है कि उसके बाद से स्थितियों में सुधार होना शुरू होगा. हालांकि कोर्ट ने सुनवाई को 24 नवंबर तक डालते हुए यह भी कहा कि फिलहाल कोई आदेश जारी करने का मतलब यह नहीं है कि कोर्ट मामले पर गंभीर नहीं है केंद्र और राज्यों के ठोस कदम उठाने की हमें उम्मीद है.
आज की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रामना जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में बार-बार इस बात पर असंतोष जताया. इस मामले से जुड़े सभी पक्ष जिम्मेदारी लेने की जिम्मेदारी दूसरे पर डालने की कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा, "यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर ज़िम्मा डालना चाहते हैं. क्या उन्हें पता है कि औसत किसान की ज़मीन का आकार क्या है? क्या वह खर्च उठा सकते हैं." कोर्ट ने कहा, "पंजाब सरकार यह कह रही है कि उसने पराली जलाने वाले किसानों के खेत मे पानी छिड़क कर उसे बुझा दिया. लेकिन किसानों की मदद कौन करेगा? उन्हें गेहूं बोने को खेत तैयार करने के लिए सिर्फ 15-20 दिन का समय मिलता है."
जजों ने कहा कि उन्हें यह आंकड़े प्रभावित नहीं करते कि दिल्ली सरकार ने सड़क सफाई की कितनी मशीनें खरीदी हैं. अगर 15 मशीन खरीद भी ली गई तो क्या उनसे 1000 किमी सड़क साफ हो जाएगी. बेंच ने हरियाणा सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा, "आप कह रहे हैं कि NCR में पड़ने वाले 4 ज़िलों में वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया गया है। क्या आप दावा कर सकते हैं कि अब वहां गाड़ियां नहीं चल रहीं? आपने लोगों को उनकी मर्जी से काम करने की छूट दे रखी है."
सुनवाई के दौरान केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपने दफ्तरों को बंद करने से मना किया. मेहता ने कहा, "अगर दिल्ली के चलते केंद्र के दफ्तर बंद किये गए तो यहां सीमित फायदा होगा, लेकिन पूरे देश का अधिक नुकसान होगा." इस पर जजों ने कहा कि वह दफ्तर बंद करने को नहीं कह रहे, लेकिन सरकारी कॉलोनियों में बस उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. इससे एक साथ 50-60 कर्मचारी और अधिकारी यात्रा कर सकेंगे.
याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने दलील दी कि केंद्र और राज्य सरकारें राजनीतिक कारणों से पराली की समस्या को कम कर बता रही हैं. फिलहाल प्रदूषण में पराली का योगदान 50 प्रतिशत है. दिल्ली गैस चैंबर बनी हुई है. पंजाब ने खरीफ और रबी की फसल का अंतर कम कर दिया गया है. इससे पराली से निपटने के परंपरागत उपाय भी बंद हो गए हैं क्योंकि उनमें समय लगता है. अगर यह सब ऐसा ही चलता रहा तो हर साल 2 महीने के लिए पूरी दिल्ली-NCR को बंद रखना पड़ेगा.
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