Delhi Pollution On Diwali: एक तरफ दिवाली (Diwali) की खुशी है तो दूसरी ओर खतरनाक प्रदूषण का डर. जी हां, दिवाली से ठीक पहले दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में सोमवार सुबह को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 276 दर्ज किया गया. वहीं रविवार को एक्यूआई 259 था, जो दिवाली से एक दिन पहले सात साल में सबसे कम था.
वहीं आनंद विवार में स्थिति और खराब दिखी. यहां AQI 395 दर्ज किया गया. इसी के साथ नोएडा में एक्यूआई लेवल 309 रिकॉर्ड किया गया. ऐसे में आज पटाखों से दिल्ली की आबोहवा और जहरीली हो सकती है.
कैसे मापा जाता है प्रदूषण का स्तर?
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को "अच्छा", 51 और 100 "संतोषजनक", 101 और 200 "मध्यम", 201 और 300 "खराब", 301 और 400 "बहुत खराब", और 401 और 500 "गंभीर" माना जाता है.
आने वाले दिनों में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता और भी खराब स्थिति में पहुंच सकती है. इसके पीछे की वजह सिर्फ पटाखे ही नहीं है बल्कि पराली का जलना भी एक मुख्य कारण है. SAFAR के मुताबिक, पंजाब-हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश से सोमवार यानी 24 अक्टूबर से हवाएं दिल्ली की ओर चलना शुरू होंगी, इसलिए पूरी आशंका है कि दिल्ली में पराली के धुएं से प्रदूषण बढ़ेगा. वहीं ऐसा भी अनुमान जताया गया है कि 26 अक्टूबर की शाम से हवा की गुणवत्ता में सुधार होना शुरू हो सकता है.
जुलाई-सितंबर में प्रदूषण निचले स्तर पर रहा
बता दें कि सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरन्मेंट (CSE) के एक विश्लेषण में कहा गया है कि दिल्ली में 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (PM) यानी (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर व्यास से कम आकार के सूक्ष्म कण) प्रदूषण का स्तर इस साल जुलाई-अगस्त-सितंबर तिमाही में औसत 37 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. वहीं यह 2020 के दौरान दर्ज किए गए 36 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पांच सालों के सबसे निचले स्तर से आंशिक रूप से अधिक है.
हवा साफ रखने का ये है प्लान
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हवा को साफ रखने का प्लान भी बनाया गया है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की ओर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के दूसरे चरण को लागू कर दिया गया है. इसके तहत प्रदूषण कम करने के लिए हर दिन सड़कों की सफाई और हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा. होटल या रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर का इस्तेमाल नहीं होगा. डीजल जनरेटर का इस्तेमाल सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं में होगा. लोगों से पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की अपील भी की गई है. इसके साथ ही स्मॉग टावर भी लगाए गए हैं.
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