Delhi-NCR Air Pollution: केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. साथ ही, 40 फ्लाइंग स्क्वाड भी बनाए गए हैं, जो प्रदूषण फैला रहे उद्योगों और निर्माण कार्यों पर सीधी कार्रवाई करेंगे. कोर्ट ने इस पर संतोष जताते हुए कहा कि इन उपायों पर अमल किया जाए. गौरतलब है कि कल हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को यह चेताया था कि वह कुछ करे, नहीं तो कोर्ट अपनी तरफ से आदेश देगा.


कोर्ट ने कल दी थी चेतावनी


गुरुवार को हुई सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर असंतोष जताया था कि एनसीआर में होने वाले प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार ने पिछले साल जो आयोग बनाया था, वह सफल नहीं हो पा रहा है. कोर्ट ने यह कहा था कि आयोग के पास अपने निर्देशों को लागू करवाने की कोई कानूनी शक्ति नहीं है. चीफ जस्टिस एन वी रमना,  जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने यह संकेत दिया था कि वह अपनी तरफ से एक टास्क फोर्स का गठन करेगी. साथ ही साथ फ्लाइंग स्क्वाड यानी उड़न दस्ते भी बनाए जाएंगे. कोर्ट ने इस चेतावनी के साथ मामले की सुनवाई आज नियमित समय से आधा घंटा पहले, सुबह 10 बजे के लिए रखी थी. लेकिन कोर्ट की सुनवाई शुरू होने से पहले केंद्र ने नया हलफनामा दाखिल कर दिया.


सरकार ने दी टास्क फोर्स की जानकारी


सुनवाई की शुरुआत में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को बताया कि एनसीआर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने एक 5 सदस्यीय इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया है. इसमें 2 स्वतंत्र सदस्य होंगे. इसके साथ ही 40 फ्लाइंग स्क्वाड बनाए गए हैं, जो प्रदूषण फैलाने वालों पर सीधे कार्रवाई करेंगे. मेहता ने कहा कि टास्क फोर्स की हर शाम 6 बजे बैठक होगी. इस बैठक के दौरान फ्लाइंग स्क्वाड उसे रिपोर्ट देगा.


कोर्ट ने जताया संतोष


याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने इस पर असंतोष जताते हुए कहा कि सरकार ने सिर्फ कोर्ट के आदेश से बचने के लिए यह कदम उठाया है. सिंह ने कहा, "पिछले साल जब कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता में एक संस्था के गठन का आदेश दिया था, तब भी सरकार ने अपनी तरफ से 16 सदस्यीय आयोग बना दिया था. लेकिन यह आयोग विफल साबित हुआ. चीफ जस्टिस सिंह की इस दलील पर आश्वस्त नजर नहीं आए. उन्होंने कहा, "आप कल जो मांग हमारे सामने रख रहे थे, वह तो सरकार ने पूरी कर दी. अब हमें यह देखना होगा यह व्यवस्था किस तरह से काम करती है."


दिल्ली सरकार पर भी रहा नरम रवैया


गुरुवार को ही सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी आड़े हाथों लिया था. कोर्ट ने यह कहा था कि दिल्ली सरकार प्रदूषण से लड़ने के गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. उसका पूरा जोर सिर्फ अपने प्रचार पर है. कल कोर्ट ने दिल्ली में स्कूलों को खोले जाने पर भी सवाल खड़ा किया था. आज दिल्ली सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जजों को यह बताया कि दिल्ली में स्कूल खोलने का निर्णय किस वजह से लिया गया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "हमने मीडिया में देखा है कि हमें ऐसे खलनायक की तरह दिखाया जा रहा है, जो दिल्ली के बच्चों का स्कूल बंद करवा देना चाहता है. जबकि हमने ऐसा कुछ भी नहीं कहा. हम कोई राजनीतिक दल नहीं है कि प्रेस कांफ्रेंस करके सफाई दें." सिंघवी ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि जजों ने स्कूल बंद करने का आदेश नहीं दिया था। सिर्फ सवाल पूछे थे.


दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में 27 अस्पतालों में कोविड से जुड़ी नई सुविधाओं का विकास किया जाना है. उनके निर्माण को रोकना जनहित में नहीं है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिंघवी की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि कहा कि यह आवश्यक निर्माण है. सुनवाई के अंत में दिए आदेश में बेंच ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों में निर्माण कार्य की अनुमति दे दी. गौरतलब है कि इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए गैर जरूरी निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का आदेश दिया था.


यूपी ने मांगी मिल चलाने की अनुमति


सुनवाई के अंत में उत्तर प्रदेश सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने गन्ना आधारित उद्योगों का सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस तरह के उद्योग में बॉयलर को 48 घंटे चालू रखना पड़ता है, तब जाकर काम शुरू हो पाता है. लेकिन एनसीआर क्षेत्र में गैर पीएनजी उद्योगों को बंद रखने या फिर उन्हें सिर्फ 8 घंटे चलाने की अनुमति देने के आदेश से गन्ना किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई आदेश देने की बजाय उनसे कहा कि वह एनसीआर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन के सामने अपनी बात रखें.


सुनवाई में पाकिस्तान की एंट्री


सुनवाई में हल्का-फुल्का क्षण तब आया जब यूपी के वकील ने गजरौला, बागपत जैसे इलाकों में उद्योग चलाने की अनुमति मांगते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश हवा के बहाव के क्षेत्र में है. वहां से दिल्ली की तरफ हवा नहीं आती है. इसलिए उस तरफ से दिल्ली में प्रदूषण आने का सवाल ही नहीं उठता. यूपी के वकील ने कहा कि प्रदूषित हवा पाकिस्तान की तरफ से आ रही है. इस पर चुटकी लेते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "क्या आप यह चाहते हैं कि पाकिस्तान के उद्योगों को बंद करवा दिया जाए?" कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार को जो भी कहना है, कमीशन के सामने कहे. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार, 10 दिसंबर को होगी.


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