नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर दिवाली के बाद बढ़ते प्रदूषण को लेकर बहस छिड़ गई है. प्रदूषण को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन सच ये है कि दिल्ली के लोगों का दम घुट रहा है, हवा खराब है, प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है, लेकिन हर कोई अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया है कि हवा में घुले खतरनाक सूक्ष्म कण पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा काफी बढ़ गई. इन कणों का शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह पीएम 2.5 और पीएम 10 है क्या जिसकी मात्रा बढ़ने से ऐसी स्थिति हुई है.


क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10


PM को पार्टिकुलेट मेटर कहा जाता है. इसे कण प्रदूषण भी कहा जाता है. यह दरअसल वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है. ये इतने छोटे होते हैं कि इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके ही इनका पता लगाया जा सकता है. इन कणों को ऐसे ही नहीं देखा जा सकता है.


हवा में PM2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है. वहीं इनकी मौजूदगी इस स्तर से बढ़ी हो तो इसे खतरनाक माना जाता है.


जब आप सांस लेते हैं तो ये कण आपके फेफड़े में जाते हैं और फिर कई गंभीर सांस की और अन्य बीमारियों का खतरा बन जता है. पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है. पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है. विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है.


वहीं पीएम 10 की बात करें तो इसे रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहा जाता है और इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है. इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है. इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है.