मई में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना ने सबसे ज्यादा तांडव मचाया. दिल्ली में कोरोना से इतनी मौतें हुईं कि वह देश में हुई मौतों की तुलना में दोगुनी से ज्यादा थी. मई में दिल्ली में कोविड से होने वाली मौत की दर (CFR) 2.9 प्रतिशत थी जो सभी राज्यों (नागालैंड को छोड़कर) में सबसे ज्यादा थी. मई में दिल्ली में हुई मौत की यह संख्या राष्ट्रीय औसत 1.3 प्रतिशत से दोगुनी से ज्यादा थी. देश के दो और राज्यों में कोरोना से हुई मौत राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से ज्यादा थी. मई के दौरान पंजाब में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2.8 प्रतिशत थी जबकि उत्तराखंड में 2.7 प्रतिशत. यानी इन तीनों राज्यों में कोरोना के कारण राष्ट्रीय औसत से दोगुना अधिक मौतें हुईं.
मई में विश्व में सबसे ज्यादा मौत भारत में
देश में मई 2020 का महीना कोरोना के लिहाज से सबसे घातक रहा. इस माह कोरोना ने देश में 1,19,183 लोगों को लील लिया. जब से कोरोना का कहर शुरू हुआ है तब से एक महीने के अंदर इतनी बड़ी संख्या में मौतें किसी दूसरे देशों में भी नहीं हुई हैं. दिल्ली में मई महीने में 2.8 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हुए. इनमें से 8090 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई. अगर इसे प्रतिशत के हिसाब से गणना करें तो प्रत्येक सौ संक्रमित लोगों में 2.9 प्रतिशत की जान चली गईं. सिर्फ अंडमान निकोबार द्वीप समूह और नागालैंड में मई महीने कोरोना से मृत्य दर ज्यादा थी. अंडमान निकोबार में कोरोना से हुई मौत की दर 4.2 प्रतिशत जबकि नागालैंड में 3.4 प्रतिशत थी.
नौ राज्यों में 50 प्रतिशत से ज्यादा मौतें मई में
मई महीनों में मौतों की इतनी संख्या रही कि नौ राज्यों में इतनी मौतें हुई जितनी उनके राज्य में अब तक कुल मौतें नहीं हुई थी. यानी जितनी मौतें इन राज्यों में मई में हुई उतनी मौतें पूरे साल भर में नहीं हुईं. असम में कोविड के कारण हुई कुल मौतों में 61 प्रतिशत मौत मई में हुई. इस राज्य में अब तक कुल 3365 मौतें कोरोना के कारण हुई. इनमें 2058 मौतें सिर्फ मई में हुई. इसी तरह उत्तराखंड में 59 प्रतिशत कोरोना के कारण मौत मई में हुई. गोवा में 56 प्रतिशत मौत, हिमाचल में 53 प्रतिशत और बिहार में 50 प्रतिशत मौत सिर्फ मई में हुई.
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