Delhi Riots 2020: देश की राजधानी दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों ने कई परिवार उजाड़ दिए थे. इसमें मीता का परिवार भी शामिल है. आज मीता उसी जगह पर सब्जी का ठेला लगाती हैं, जहां उनके पति को मारा गया था. इन दंगों को भले ही तीन साल हो गए हो लेकिन नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के लोगों का दर्द अब भी उतना ही ताजा है. दंगों का दर्द झेलने वाले एक-एक शख्स का चेहरा उनका दर्द बयां कर दी देता है. चलिए आपको इन्हीं दंगों का शिकार हुई मीता की कहानी बताते हैं.
मीता कहती हैं, " मैंने घर में चूहे मारने की दवा रखी थी. दवा अपने सामने निकालकर रख दी थी ताकि अगर दंगाई गली में घुसे तो वो निगल लूंगी. वैसे तो किचन में चाकू भी था, लेकिन उसकी धार इनती नहीं थी कि मैं उससे खुद को मार सकूं. मैं मरने के लिए तैयार थी. इतने में मेरे पति के मरने की भी खबर आ गई थी और तब से मैं हर दिन मर रही हूं."
'बिना चप्पल उनके पीछे भागी'
मीता ने इंडिया टुडे को बताया, "सुबह के 4.30 बज रहे थे जब मेरे पति हंगामा सुनकर भागे थे. मेरे पास मेरी चप्पल भी नहीं थी. मैं उvके पीछे भागी. 2 मिनट बाद खबर आई कि उन्हें गोली मार दी गई है. मेरे देवर और कुछ अन्य लोग शव को घसीटकर घर ले आए, नहीं तो शायद हम उनका अंतिम संस्कार नहीं कर पाते."
'मोहल्ले तक आ गए थे दंगाई'
मीता ने बताया कि जब यह सब हो रहा था तो सारे आदमी बाहर गए हुए थे. दंगाई मोहल्ले तक आ गए थे. हर किसी के अंदर इसी बात का डर था कि वो लोग घरों के अंदर न आ जाएं और महिलाओं के साथ कुछ गलत न करें. उनके पति भी हत्या से पहले पूरे दिन सड़क पर पहरा दे रहे थे. देर रात जब वह घर पहुंचे तो एकदम से शोर हुआ और वह बाहर गए सभी उन्हें मार दिया गया.
'हर चेहरे में दिखता है कातिल'
मीता ने कहा कि उनका पति सड़क की रखवाली करते हुए उन्हें छोड़कर चला गया. अब वह इसी जगह पर बैठकर सब्जी की दुकान लगाती हैं. रोज वह यहां आते-जाते लोगों को देख यही सोचती हैं कि इन्हीं में से किसी ने उनके पति की हत्या की होगी. हर चेहरे में उन्हें कातिल दिखाई देता है.
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