नई दिल्ली: बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि पिछले साल उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे शुरू होने से एक दिन पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर निशाना साधने वाला उन्होंने जो भाषण दिया था, उसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है, और जरूरत पड़ी तो वह फिर से ऐसा करेंगे. दिल्ली के पूर्व विधायक ने कहा, "जब भी सड़कें अवरुद्ध की जाएंगी और लोगों को काम पर या बच्चों को स्कूल जाने से रोका जाएगा तो इसे रोकने के लिए वहां हमेशा कपिल मिश्रा होगा."


कपिल मिश्रा ने एक किताब के विमोचन पर कहा, ''मैंने जो किया है, मैं फिर करूंगा. मुझे कोई पछतावा नहीं है, सिवाए इसके कि मैं दिनेश खटीक, अंकित शर्मा (दंगा पीड़ित) और कई अन्य की जान नहीं बचा सका." गणतंत्र दिवस पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदर्शन से दंगा तक का यह मॉडल बहुत स्पष्ट है.


पिछले साल 23 फरवरी को कपिल मिश्रा ने अपने विवादित भाषण में जाफराबाद में सड़क पर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने की धमकी दी थी. एक वर्ग मानता है कि उनके इस भाषण के बाद ही सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी और सीएए के समर्थकों तथा विरोधियों की बीच झड़पें हुई थीं. दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे.


कपिल मिश्रा ने कहा, “लोकतंत्र में अल्टीमेटम (अंतिम चेतावनी) देने का और क्या तरीका है? मैंने एक पुलिस अधिकारी के सामने ऐसा किया. क्या दंगा शुरू करने वाले लोग पुलिस के सामने अल्टीमेटम देते हैं? ” पुलिस ने दंगा भड़काने में कपिल मिश्रा के भाषण की भूमिका का खंडन किया जबकि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की पिछले साल जुलाई में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा कपिल मिश्रा के भाषण के बाद ही शुरू हुई.


कपिल मिश्रा की टिप्पणी पर सीपीएम नेता बृंदा करात ने प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि वह बार-बार अपराध करने वाले व्यक्ति हैं और उन्हें जेल में होना चाहिए था. उन्होंने कहा, "गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में आने वाली दिल्ली पुलिस ने कपिल मिश्रा को छूट दी हुई है, जो उन्हें बचाने के लिए सबकुछ करने की कोशिश में लगे हुए हैं."


दिल्ली दंगाः एक साल बाद भी दर्द है बाकी, आहिस्ता-आहिस्ता पटरी पर लौट रही है जिंदगी