नई दिल्ली: पहले तो दंगों की आग में दिल्ली को झोंका और अब उसके सच को खाक में मिलाने की साजिश का खुलासा हुआ है. दिल्ली दंगों के दो अहम गवाहों को जान से मारने की धमकी दी गई है और इस बाबत दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है. हालांकि पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.


पुलिस के मुताबिक उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में राजधानी स्कूल के मालिक फैजल का नाम भी सामने आया था. इस मामले की जांच के दौरान पुलिस को पता लगा था कि फैजल ने अपने स्कूल में दंगाइयों को छुपने की जगह दी थी और उसने दंगाइयों को पैसे भी दिए थे. जांच के दौरान राजधानी स्कूल के गार्ड मनोज ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि दंगे वाले दिन यानी 24 फरवरी 2020 को स्कूल में मौजूद बच्चों के अभिभावक उन्हें जल्दी लेने आ गए थे और पूछे जाने पर उन्होंने उससे कहा था कि स्कूल से फोन आया है कि बच्चों को जल्दी ले जाओ.


इसके बाद स्कूल के गार्ड मनोज ने देखा कि उसके स्कूल के मालिक फैजल कुछ लोगों की भीड़ के साथ खड़े हुए थे और अपने स्कूल की तरफ और गार्ड की तरफ इशारा कर रहे थे. गार्ड के बयानों के मुताबिक इसके बाद उसने देखा कि डीआरपी स्कूल के सामने लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई और उस भीड़ ने डीआरपी स्कूल को तोड़ना और जलाना शुरू किया. इसी दौरान एक दंगाई गार्ड के पास आया और उसने उससे कहा कि फैजल सर से बात हो गई है. तुम यहां से भाग जाओ.


दिल्ली पुलिस को दिए बयान के बाद मनोज गार्ड वापस अपने गांव चला गया. ध्यान रहे कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ने फैजल और उसके साथियों के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट के सामने पेश कर दिया है और फैजल की जमानत याचिका भी खारिज हो गई है. इसके बाद मनोज ने अपने शिकायती पत्र में कहा कि उसके पास फैजल के पिता फारुख के फोन से कॉल आया और मुझे कहा कि तुमने मेरे बेटे फैजल के खिलाफ दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच में जो बयान दिए हैं वो वापस ले लो. दिल्ली आ जाओ वर्ना हम लोग खुद तुम्हें लेने तुम्हारे गांव आ जाएंगे.


गार्ड मनोज की शिकायत के आधार पर उत्तराखंड पुलिस ने अपराधिक धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. दूसरा धमकी का मामला डीआरपी स्कूल के मालिक का है, दिल्ली के दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक स्कूल के मालिक के बेटे धर्मेश शर्मा ने शिकायत में कहा कि उनके फोन नंबर पर किसी अनजान का फोन आया. मुझे मुकदमा वापस लेने की धमकी दी और कहा कि अगर तुमने मुकदमा वापस नहीं लिया तो तुम्हें और तुम्हारे पिताजी, परिवार के सदस्यों और बिजनेस को फैजल भाई खत्म करवा देंगे.


दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 195 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है. इस धारा का मतलब है कि किसी शख्स को जबरन झूठे बयान दिए जाने के लिए दबाव डाला जाना. इस धारा के तहत आरोप साबित होने पर 7 साल तक की सजा हो सकती है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों में अब तक कुल 751 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें 1470 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और इनमें आधे हिंदू और आधे मुस्लिम शामिल हैं.


यह आलम तो तब है जब पुलिस के आला अधिकारियों ने जांच के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए थे कि शिकायत के आधार पर किसी को गिरफ्तार न किया जाए. शिकायत की जांच की जाए और ठोस सबूत सामने आने पर ही किसी शख्स की गिरफ्तारी की जाए यानी अब इस मामले के षड्यंत्रकारियों को ऐसा लगता है कि वह पुलिस के सबूतों से तो नहीं जीत सकते हैं, ऐसे में गवाहों को धमका कर यदि बयान बदलने पर मजबूर कर दें तो जरूर उन्हें फायदा मिल सकता है.


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