दिल्ली से बंदर भगाने के लिए पांच साल में खर्च होंगे पांच करोड़ रुपये
अधिकारियों ने बताया कि अबतक बंदरों को पकड़ कर असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा जाता है.
नई दिल्ली: दिल्ली में बंदरों के आतंक को नियंत्रित करने की एक परियोजना के लिए मार्च में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 5 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ. दिल्ली वन विभाग ने अब मंत्रालय से कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए स्वीकृत राशि को फिर से रीवैलिडेट करे ताकि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) परियोजना को शुरू कर सके.
मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रभात त्यागी ने बताया, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि मंत्रालय जल्द ही (रीवैलिडेशन) मंजूरी दे सकता है. संस्थान को परियोजना शुरू होने से पहले दिल्ली में सेटअप स्थापित करने के लिए कुछ महीनों की आवश्यकता होगी."
2018 में बंदरों के काटने के 950 मामले दर्ज किए गए
दिल्ली में "बढ़ती हुई बंदर खतरे" की समस्या, नामक विषय पर 24 जून को वन महानिरीक्षक (वन्यजीव) द्वारा आयोजित एक बैठक में बताया गया है कि पिछले कई वर्षों में यह समस्या बढ़ी है. अधिकारियों ने कहा कि 2018 में, शहर में बंदरों के काटने के लगभग 950 मामले दर्ज किए गए हैं, यहां तक कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद क्षेत्र में रहने वाले सांसदों और नौकरशाहों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि अबतक बंदरों को पकड़ कर असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा जाता है. लेकिन इस मुद्दे को हल करने में ये मदद नहीं करता है. अधिकारियों ने कहा कि एक वैज्ञानिक पद्धति की जरूरत है.
प्रस्ताव में ये बातें हैं शामिल
प्रस्ताव के अनुसार, 5 साल के कार्यक्रम में बंदरों की आबादी का आकलन करना, उनके व्यवहार और चाल-चलन के पैटर्न को समझना, उनमें रेडियो-कॉलर फिट करना, हॉटस्पॉट की पहचान करना, नसबंदी के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल करना और वन और नगरपालिका कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना शामिल था.
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