Qutub Minar Row: याचिका सुनने लायक है या नहीं अदालत जारी करेगी आदेश, हिंदू पक्ष ने पूजा पाठ की मांगी इजाजत, साकेत कोर्ट में फैसला आज
Qutub Minar in Delhi: दिल्ली के क़ुतुब मीनार परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा को लेकर आज साकेत कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है. फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसका विरोध किया है.

Qutub Minar Controversy: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली(Delhi) में ऐतिहासिक इमारत क़ुतुब मीनार(Qutub Minar) के परिसर में रखी मूर्तियों की पूजा को लेकर दिल्ली की साकेत कोर्ट(Saket Court) आज अपना फैसला सुना सकती है. दरअसल साकेत कोर्ट में दायर एक मुकदमे में दिल्ली की निचली अदालत को कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका पर फिर से सुनवाई करने और इस पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है.
वहीं साकेत कोर्ट की एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला 9 जुन तक के लिए सुरक्षित रखा था. जिस पर आज साकेत कोर्ट अपना फैसला दे सकती है. इससे पहले दिल्ली की निचली अदालत ने मामले कुतुब मीनार परिसर में पूजा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
आज आ सकता है फैसला
वहीं अब यह देखना होगा कि दिल्ली की साकेत कोर्ट के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज आज सुनाए जाने वाले अपने फैसले में निचली अदालत के फैसले को कायम रखते हैं या फिर उसे गलत बताकर इ मामले में दिल्ली की निचली अदालत को पुनर्विचार करने के आदेश दे सकते हैं.
फिलहाल याचिकाकर्ता के अनुसार दिल्ली की निचली अदालत ने तथ्यों की जांच किए बिना ही उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून के अनुसार इस याचिका पर विचार करने के बाद निचली अदालत को कुतुब मीनार के परिसर में रखी हुई मूर्तियों की जांच और सर्वे के आदेश देने चाहिए थे. जिसके बाद ही सही आदेश दिया जा सकता था.
पुरातत्व सर्वेक्षण ने किया है विरोध
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुतुब मीनार परिसर में किसी भी धर्म को पूजा या प्रार्थना का अधिकार देने का विरोध किया है. फिलहाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस बात की पुष्टि की है कि कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर जो अवशेष मौजूद थे उसी का इस्तेमाल कर कई ईमारतें बनाई गई हैं.
800 सालों से परिसर में मूर्तियों की पूजा नहीं हुई
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी सवाल पूछते हुए कहा था कि जब पिछले 800 सालों से उस परिसर में मूर्तियों की पूजा नहीं हुई तो आखिर अब पूजा करने की मांग क्यों उठायी जा रही है. ऐसे में अगर आज कोर्ट याचिकाकर्ताओं की मांग को स्वीकार करती है तो एक बार फिर से यह मामला निचली अदालत में जाएगा और फिर निचली अदालत सभी तथ्यों को देखने के बाद यह तय करेगी कि याचिकाकर्ताओं को पूजा का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं. अगर एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट याचिका को खारिज करती है तो याचिकाकर्ताओं के पास हाई कोर्ट(High Court) जाने का रास्ता खुला रहेगा.
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