Delhi Schools Reopen: दिल्ली में स्कूल खुलने के लिए तैयार, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं अभिभावक
दिल्ली में स्कूल खुलने के लिए तैयार हैं लेकिन अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. अभिभावक बच्चों को वैक्सीन लगने तक स्कूल भेजने में संतुष्ट नजर नहीं आ रहे.
नई दिल्ली: दिल्ली में 9वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चों के लिए 1 सितंबर से स्कूल खुल जाएंगे. पिछले तकरीबन डेढ़ साल में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे. अब एक लंबे अरसे के बाद स्कूल खुलने की तैयारी शुरू हो गई है. जहां एक तरफ काफी वक्त बाद स्कूल खुलने की खबर सुनते ही स्कूलों में तैयारी शुरू हो गई है तो वहीं टीचर भी बच्चों को अब ऑफलाइन पढ़ाने के लिए तैयारी में जुट गए हैं. लेकर अभिभावक अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं जिसके पीछे वजह है कोरोना का खतरा.
कोरोना की पहली लहर से लेकर कोरोना की दूसरी लेहर तक, लाखों लोग इसकी चपेट में आए. काफी लोगों ने अपनी जान गंवा दी और अगर कोरोना की दूसरी लहर की बात करें तो घर-घर में कोरोना बुरी तरह फैल गया था. यही वजह है कि दिल्ली में स्कूल खुलने की खबर सुनते ही बहुत से अभिभावक चिंता में पड़ गए.
अभिभावकों को बच्चों के लिए वैक्सीन आने का इंतजार
दिल्ली के कुछ अभिभावकों से एबीपी न्यूज़ ने बात की और पूछा कि अब स्कूल खुलने पर अभिभावक क्या सोचते हैं? सबसे पहले हम प्रियंका कुमार के घर पहुंचे, इनका बेटा 10वीं क्लास में पढ़ता है. जब हमने प्रियंका को बाहर से स्कूल खुलने और बच्चे को स्कूल भेजने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "मैं अपने बेटे को स्कूल बिल्कुल भी नहीं भेजूंगी. अभी मुझे बच्चों के लिए आने वाली वैक्सीन का इंतजार है. जब तक वैक्सीन नहीं आएगी और कम से कम मैं अपने बेटे को पहला वैक्सीन का डोज नहीं लगवा देती, तब तक मैं स्कूल नहीं भेजूंगी. क्योंकि बच्चे पूरी तरह से स्कूल जाकर प्रोटोकॉल फॉलो नहीं कर पाएंगे. जहां हम डेढ़ साल रुके थे तो वहीं कुछ और दिन इंतेजार करना चाहिए था. इतनी जल्दी स्कूल नहीं खुलने चाहिए थे."
जहां प्रियंका अपने बेटे सानिध्य को स्कूल भेजने को लेकर सहमति नहीं थी तो वहीं सानिध्य का भी कहना था कि हेल्थ से बढ़कर कुछ नहीं है और हमें वैक्सीन का इंतेजार करना चाहिए. हालांकि ये और बात है कि सानिध्य स्कूल में अपने दोस्तों को और ऑफलाइन पढ़ाई को काफी मिस करते हैं.
"बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ"
इस परिवार से बात करने के बाद हम दिल्ली के चिब्बर परिवार से मिलने पहुंचे. इस परिवार में दो बच्चे हैं एक क्लास 10वीं में तो दूसरा क्लास 12वीं में. पिछले 1.5 साल से ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है और अब जब ऑफलाइन पढ़ाई के लिए स्कूल खुलने की तैयारी कर रहे हैं तो करोना के मंडराते खतरे को देखते हुए अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. अभिभावकों का साफ तौर से कहना है कि बच्चे को अगर संक्रमण होता है तो उससे घर के बाकी लोगों को भी एक बड़ा खतरा होगा. सबसे पहले हमने कोमल चिब्बर और उदित चिब्बर से बात की. दोनों लोगों की राय अलग थी लेकिन इस राय में बच्चों के लिए चिंता साफ दिखाई दे रही थी. कोमल चिब्बर का कहना है कि बच्चों को स्कूल बुलाने में अभी जल्दी नहीं करनी चाहिए, अभी कुछ इंतजार करके बच्चों को जब तक वैक्सीन ना लग जाए तब तक स्कूल ना भेजना ही सही है. तो वहीं उदित चिब्बर का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है, बच्चे समझदार हैं और सारे प्रोटोकॉल फॉलो करेंगे हालांकि उन्हें इस बात की भी चिंता है कि अगर स्कूल खुलने के बाद बच्चे को कोरोना हो जाता है तो घर के बाकी लोगों के लिए कोरोना का खतरा बढ़ जाएगा.
हालांकि बेटे अरमान चिब्बर का कहना है कि स्कूल खुलने के बाद स्कूल जाना ठीक है. इससे वह दोस्तों से भी मिल लेंगे और ऑनलाइन पढ़ाई में काफी कुछ समझ नहीं आता है इसलिए ऑफलाइन पढ़ाई एक बेहतर विकल्प है. हालांकि जो प्रोटोकॉल बार-बार फॉलो करने के लिए कहा जाता है जैसे कि मास लगाना या सैनिटाइज करना उसको वह स्कूल में भी फॉलो करेंगे. अरमान के दादा दादी इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं दिखाई दिए क्योंकि उनका कहना है कि वह बिल्कुल भी इस फ़ेवर में नहीं है की अपने पोते को स्कूल भेजें क्योंकि उनका मानना है कि सेहत से बढ़कर कुछ नहीं है.
स्कूल खोलने को लेकर अभिभावकों और बच्चों की तो काफी अलग अलग राय सामने आई लेकिन स्कूल खुलने की तैयारी को लेकर सरकार काफी एक्टिव दिख रही है. दिल्ली में जहां 1 सितंबर से 9वीं से 12वीं क्लास के लिए स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल रहे है तो वही इस के साथ साथ DDMA ने स्कूल और कॉलेज खोलने के लिए SOP भी जारी कर दी है. जिसमे कहा गया है कि...
- क्लास रूम की सीटिंग क्षमता के अधिकतम 50 फीसदी तक बच्चे एक बार मे क्लास कर सकेंगे
- हर क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए अलग-अलग समय का फॉर्मूला होगा
- मॉर्निंग और ईवनिंग शिफ्ट के स्कूलों में दोनों शिफ्टों के बीच कम से कम एक घंटे का गैप जरूरी होगा
- बच्चों को अपना खाना, किताबें और अन्य स्टेशनरी का सामान एक-दूसरे से साझा नहीं करने की सलाह देने को कहा गया है
- लंच ब्रेक को किसी ओपन एरिया में इस अलग-अलग समय पर रखने की सलाह दी गई है ताकि एक समय मे ज्यादा भीड़ एकत्र न हो
- सीटिंग अरेंजमेंट इस तरह से किया जाए कि एक सीट छोड़कर बैठने की व्यवस्था हो
- बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए माता-पिता की मंजूरी ज़रूरी है. कोई अभिभावक यदि अपने बच्चे को स्कूल भेजना नहीं चाहता है तो इसके लिए उसे बाध्य नहीं किया जाएगा.
- कंटेन्मेंट ज़ोन में रहने वाले टीचर स्टाफ या छात्र को स्कूल आने की इजाज़त नही होगी
- स्कूल परिसर में एक क्वारंटीन रूम बनाना अनिवार्य है, जहां जरूरत पड़ने पर किसी भी बच्चे या स्टाफ को रखा जा सकता है
- यह सुनिश्चित किया जाए कि स्कूल के कॉमन एरिया की साफ-सफाई नियमित तौर पर हो रही है. शौचालयों में साबुन और पानी का इंतजाम है. साथ ही स्कूल परिसर में थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर और मास्क आदि की उपलब्धता है.
- एंट्री गेट पर थर्मल स्कैनर अनिवार्य होगी. बच्चों के साथ-साथ स्टाफ के लिए भी मास्क जरूरी होगा. इससे अलग एंट्री गेट पर ही बच्चों के हाथ सैनिटाइज कराए जाएंगे.
- हेड ऑफ स्कूल को एसएमसी मेंबर्स के साथ मीटिंग, कोविड प्रोटोकॉल प्लान और थर्मल स्कैनर, साबुन और सैनिटाइजर आदि का इंतजाम कर लेने के लिए कहा गया है.
- स्कूल प्रमुखों को ये भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि स्कूल में आने वाले सभी टीचर और स्टाफ वैक्सीनेटेड हों, अगर नहीं हैं तो इसे प्रमुखता देनी होगी.
- जिन स्कूलों में वैक्सीनेशन और राशन बांटने का काम चल रहा है वहां उस हिस्से को स्कूल में एकेडमिक एक्टिविटी वाली जगह से अलग रखा जाएगा. इसके लिए अलग एंट्री-एग्जिट पाइंट बनाये जाएंगे और सिविल डिफेंस स्टाफ को तैनात किया जाएगा.
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