Delhi Services Bill: उपराज्यपाल होंगे बॉस, जानें दिल्ली सेवा कानून बनने के बाद कैसे चलेगी सरकार?
AAP Vs Delhi LG: दिल्ली सेवा बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुका है. अब चर्चा यह है कि क्या बिल के कानून बनने पर उपराज्यपाल दिल्ली के बॉस होंगे और क्या राज्य सरकार की शक्तियां कम हो जाएंगी?
GNCTD Amendment Bill 2023: देश की राजधानी दिल्ली में पिछले काफी समय से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान चल रही है. दिल्ली सेवा बिल को लेकर चल रही गहमागहमी के बाद सोमवार (7 अगस्त) को राज्यसभा से भी यह बिल पास हो गया. इससे पहले यह लोकसभा में भी पारित हो चुका है.
इस बिल का नाम 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023' है. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा. कानून बनने के बाद दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत कई मामले उपराज्यपाल के पास चले जाएंगे. इसको सीधे तरीके से समझें तो इस कानून के बन जाने के बाद उपराज्यपाल दिल्ली के बॉस होंगे और केजरीवल सरकार की पावर कम हो जाएगी. आइये समझते हैं कैसे?
LG होंगे दिल्ली के बॉस
नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) में मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे. यह अथॉरिटी एलजी को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिश करेगी. इसके अलावा दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामलों पर भी उपराज्यपाल को सिफारिशें भेजी जाएंगी.
यह बिल उपराज्यपाल को एनसीसीएसए की तरफ से की गई सिफारिशों समेत प्रमुख मामलों पर अपने 'एकमात्र विवेक' का प्रयोग करने की ताकत देता है. उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने का भी अधिकार रहेगा.
एलजी का निर्णय अंतिम होगा
एनसीसीएसए की सिफारिशें बहुमत पर आधारित होंगी और एलजी के पास या तो सिफारिशों को मंजूरी देने, पुनर्विचार करने के लिए कहने की ताकत रहेगी या किसी भी मामले पर मतभेद की स्थिति में एलजी का निर्णय अंतिम होगा.
सचिव संबंधित मंत्री से परामर्श करने के लिए बाध्य नहीं होंगे और मामले को सीधे उपराज्यपाल के संज्ञान में ला सकते हैं. यह भारत के राष्ट्रपति को संघ सूची से संबंधित संसद के किसी भी कानून के लिए अधिकारियों, बोर्डों, आयोगों, वैधानिक निकायों या पदाधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार देता है.
क्या दिल्ली की केजरीवाल सरकार की शक्तियां हो गईं कम?
जानकारों की मानें तो इस बिल के कानून बन जाने के बाद से उपराज्यपाल सुप्रीम हो गए हैं, जिसके बाद से अधिकारी एलजी की बात को ज्यादा तवज्जो देंगे. दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल बताते हैं कि जो शक्तियां मुख्यमंत्री के पास थी, वो अब नहीं रहेंगी और फैसले एलजी लिया करेंगे. चुनी हुई सरकार की शक्तियां पहले के मुकाबले और कम हो जाएंगी.
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