नई दिल्ली: 'जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल' के नारे दिल्ली के शाहीन बाग में लगे. शाहीन बाग में स्थानीय महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरने पर बैठी हैं. शुक्रवार को यहां पंजाब से कुछ सिख युवकों का एक दल अपना समर्थन देने पहुंचा. इन युवकों के मंच पर आते ही भीड़ ने 'जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल' कहकर इनका स्वागत किया.


शाहीन बाग में शुक्रवार को अन्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा महिलाएं सीएए का विरोध करने के लिए एकत्र हुई. रात होते होते जामिया से प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा हुजूम भी इन महिलाओं का साथ देने के लिए शाहीन बाग पहुंच गया.


75 वर्षीय चंदा नूर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित धरने में शामिल होने के लिए अकेले बदरपुर से यहां आई थी. पूछने पर उन्होंने बताया कि वह हर दिन यहां आती हैं. चंदा नूर पहले दिन से इस धरने में शामिल हैं. चंदा नूर से जब यह पूछा गया कि वह कब तक यह धरना देंगी तो उनका कहना था कि मरते दम तक या फिर सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती तब तक.


उधर पटियाला से आए छात्रों ने शाहीन बाग की महिलाओं को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 11 जनवरी को पंजाब के कई शहरों व चंडीगढ़ में छात्र प्रदर्शन करने जा रहे हैं.


शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही नाहिदा ने बताया कि उनके पति और ससुर रोज अपने अपने काम पर जाते हैं और वह यहां अपना पूरा दिन सीएए के खिलाफ धरना देकर बिताती हैं. नाहिदा पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर में रहती हैं और उनके पति ओखला में नौकरी करते हैं. नाहिदा के मुताबिक उनके पति ही मोटरसाइकिल पर उन्हें यहां छोड़ जाते हैं और फिर रात को घर लौटते समय वापस लेने के लिए आते हैं. उनका कहना है कि वह सीएए वापस हुए बिना यहां से नहीं हटेंगी, अब उन्हें न पुलिस का डर है न जेल जाने का.


यहां आने वाली महिलाओं में दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र आकांक्षा चौधरी भी शामिल हैं. आकांक्षा ने बताया कि वह महिलाओं की हिम्मत बढ़ाने हर शाम 6 बजे के बाद 3 घंटे के लिए यहां आती हैं. आकांक्षा नेहरू प्लेस में नौकरी करती हैं और हर रोज छुट्टी के बाद सीधे शाहीन बाग पहुंचती हैं. आकांक्षा के मुताबिक उनके परिवार को भी इससे कोई एतराज नहीं है बल्कि छुट्टी के दिन वह पूरे परिवार के साथ शाहीनबाग आती हैं.


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