Kausar Jahan: सुप्रीम कोर्ट ने बीते रोज बुधवार (9 जुलाई) को फैसला सुनाया था कि मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता (भरण पोषण) मांग सकती हैं. दिल्ली राज्य हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है.
कौसर जहां ने कहा कि मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं, इसका इस्तकबाल करती हूं. सुप्रीम कोर्ट ने जो यह फैसला लिया है कि मुसलमान महिलाओं को उनका हक मिले, इस दिशा में बहुत बड़ा और तो और एक ऐतिहासिक फैसला है. उन्होंने आगे कहा कि उस समय जब राजीव गांधी की सरकार थी और आज की जो सरकार है उनकी सोच में बहुत फर्क है, उनके विजन में फर्क है. यह वही दर्शाता है.
'कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में थी पिछली सरकारें'
कौसर जहां ने कहा कि पिछली सरकारों की प्राथमिकता कुछ और थी. कट्टरपंथी ताकतों के दबाव में आकर उन्होंने अपना फैसला पलट दिया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार की प्राथमिकता ही यही है कि महिलाओं को सशक्त किया जाए. उनको उनका हक मिल जाए और महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें. इसलिए हम तो इस फैसले का स्वागत करते हैं और हम खुश हैं. कौसर जहां ने ये भी कहा कि मुस्लिम समाज की जो प्रगतिशील सोच के जो लोग हैं वह भी इसको सपोर्ट करेंगे.
'इसमें तो धर्म की बात ही नहीं'
कौसर जहां से जब यह पूछा गया कि कुछ लोग इस फैसले को धर्म से जोड़ रहे हैं तो उन्होंने कहा कि इस फैसले को धर्म से जोड़ने का कोई मतलब ही नहीं है. यहां धर्म की कोई बात ही नहीं हो रही है. यहां बात मानवाधिकार की हो रही है और महिलाओं के हक की बात हो रही है. कौन सा धर्म है जो यह कहता है कि आप किसी का हक मारिए, खास करके महिलाओं का या महिलाओं के साथ उत्पीड़न करिए या उनका शोषण करिए. कौसर जहां ने कहा की जहां तक इस्लाम की बात है तो वहां तो महिलाओं का खास स्थान है और उनके हक की बात की गई है तो इसे धर्म से जोड़ना बिल्कुल ठीक नहीं है.
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