नई दिल्ली: मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर दिल्ली में रखे गए औरंगजेब रोड का नाम बदलने के बाद अब अकबर द् ग्रेट के नाम मशहूर मुगल वंश के तीसरे शासक जलालउद्दीन मोहम्मद अकबर के नाम पर रखा गया अकबर रोड अब शरारतियों के निशाने पर है. दिल्ली के दिल कहे जाने वाले इंडिया गेट के करीब से गुज़रने वाली सड़क अकबर रोड के साइन बोर्ड पर महाराणा प्रताप सिंह का पोस्टर चिपकाया गया है. ये पोस्टर चुपके से चिपकाया गया है इसलिए अब अब तक साफ नहीं है कि इसके पीछे किसका हाथ है. ये शरारत किसने की है.


खास बात ये है कि अकबर रोड के साइन बोर्ड पर पोस्टर चिपकाने की ये घटना आज घटी है और आज ही मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप सिंह का जन्मदिन है. गौर करने वाली बात ये है कि अकबर रोड को तब निशाने पर लिया गया जब इन दिनों हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और महाराण प्रताप सिंह का मुद्दा गर्म है.


याद रहे कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर ने महाराणा प्रताप को शिकस्त देकर अपने सबसे बड़े दुश्मन से निजात पाई थी और इस तरह उसने भारत में अपनी बादशाहत को मजबूती दी थी. हल्दीघाटी का युद्ध 1576 में मेवाड़ और मुगलों के बीच लड़ा गया. इस युद्ध में मेवाड़ की सेना का नेतृत्व महाराणा प्रताप ने किया था जबकि मुगल सेना का नेतृत्व मानसिंह और आसफ खां ने किया था.


अकबर बनाम माहाराणा प्रताप
आम लोगों के साथ-साथ राजनीति के मैदान में भी हल्दीघाटी का युद्ध, महाराणा प्रताप सिंह और अकबर इन दिनों बहस का मुद्दा बना हुआ है. देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह और देश की सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अकबर पर सवाल उठा चुके हैं. योगी ने तो अकबर को आक्रांता करार दिया था. राजनाथ सिंह का कहना है कि इतिहासकारों ने महाराणा प्रताप के साथ नाइंसाफ़ी की है.


दूसरी ओर बीजेपी के एक विधायक ने राजस्थान यूनिवर्सिटी को प्रस्ताव भेजा था कि कि वो यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों में हल्दीघाटी की जंग की कहानी को ठीक करें और उसमें बताएं कि युद्ध में अकबर से महाराणा प्रताप की हार नहीं हुई थी. यूनिवर्सिटी ने बीजेपी के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.


कब बदला औरंगजेब रोड का नाम
बता दें कि 28 अगस्त 2015 को नई दिल्ली नगर निगम ने औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया. इससे पहले महेश गिरि ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर इस रोड का नाम बदलने की मांग की थी.