शेक्सपीयर ने कहा था, 'नाम में क्या रखा है, गर गुलाब को हम किसी और नाम से भी पुकारें तो वो भी ऐसी ही खूबसूरत महक देगा'. लेकिन राजनीति में ये बात मायने नहीं रखती, क्योंकि इन दिनों दिल्ली में 'नाम' पर ही सियासत गरम है.


दरअसल दक्षिण पश्चिम दिल्ली के मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलने को लेकर सत्ताधीन आम आदमी और बीजेपी में जमकर राजनीति हो रही है. बीजेपी की मांग है मोहम्मदपुर गांव का नाम बदल कर माधवपुरम किया जाए, जिसका प्रस्ताव वो दक्षिणी नगर निगम से पिछले वर्ष ही पास करा चुकी है, और एसडीएमसी मेयर मुकेश सूर्यान की भी अग्रिम मंजूरी मिल चुकी है. 


लेकिन मोहम्मदपुर गांव के पार्षद भगत सिंह टोकस के मुताबिक पिछले 6 महीनों से दिल्ली सरकार ने इस मामले को अधर में लटका कर रखा है. टोकस का कहना है कि पंचायत और गांव के लोगों की ही कई सालों से इच्छा थी कि इस गांव का नाम बदलना चाहिए, और अब जब मेरा प्रस्ताव निगम में पारित भी हो गया तो दिल्ली सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है.


हालांकि दिल्ली बीजेपी की तरफ से मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलने की कवायद तेज हो गई है. आज दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता मोहम्मदपुर गांव पहुंचे, जहां पहले बुजुर्गों ने उन्हें पगड़ी पहनाई. इसके बाद आदेश गुप्ता, गांव के एंट्री प्वाइंट पर भी गए जहां पार्षद की तरफ से 'माधवपुरम गांव में आपका स्वागत है ' का बोर्ड भी लगाया गया था.


दिल्ली सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा," आजादी को 75 साल हो चुके हैं. कोई भी गुलामी की मानसिकता देश को नहीं चाहिए. दिल्ली सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करती है, एक वर्ग विशेष को खुश करने की होड़ में लगी रहती है. हम 40 और गांव के नाम बदलेंगे क्योंकि इन सभी गांव की पंचायत ने हमें प्रस्ताव दिया है." 


दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यान ने भी मोहम्मदपुर गांव पहुंच कर गांव का नाम बदलने की मांग का पूरा समर्थन किया. सूर्यान ने कहा, "ये अच्छी पहल है. हम वो नाम बदल रहे हैं जिन्होंने हमेशा लूटने का काम किया है. हमारी बहन बेटियों के साथ यातनाएं की हैं. उनके नाम पर तो वैसे भी किसी गांव का नाम नहीं होना चाहिए. लेकिन दिल्ली सरकार का एजेंडा है कि निगम कोई भी प्रस्ताव भेजता है तो उसको किसी तरह से लटका कर रखना है. जब नाम बदलेगा तो लोगों की भावनाएं बदलेंगी विचार बदलेंगे और गांव की तस्वीर भी बदलेंगी."


हालांकि नाम बदलने को लेकर गांव में रहने वालों की मिक्स प्रतिक्रिया मिली. कुछ नाम बदलने के समर्थन में थे तो कुछ इसे कोरी राजनीति बता रहे थे. मोहम्मदपुर गांव निवासी 55 वर्षीय दिनेश सिंह का कहना है, ये सराहनीय कदम है, हमारे गांव में 95 फीसदी हिंदू आबादी है.


 इसलिए गांव का नाम मोहम्मदपुर से माधवपुरम करना सही कदम है. वहीं सुरेश सिंह का कहना है कि लोग हमारे गांव को मोहम्मदपुर के नाम से जानते हैं, अगर हम किसी ऑटो वाले को भी बताएंगे कि माधवपुरम जाना है तो उसे भी नहीं पता होगा कि माधवपुरम कहां है, इसके अलावा हमें सरकारी दस्तावेज में भी मोहल्ले का नाम बदलना पड़ेगा. इसलिए जो पुराना नाम है वही ठीक है.


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