नई दिल्ली: कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इसे लेकर लोगों की अलग अलग राय है कोई इसे सही बता रहा है तो कोई कानून में कुछ संशोधन की सिफारिश कर रहा है. इन सबके बीच हम बात कर रहे हैं दिल्ली के बार्डर से सटे टीकरी और झड़ौदा गांव के किसानों की जिनकी गोभी की फसल की लगात भी नहीं निकल पा रही है.


गोभी पर खेत में ही ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं किसान


टीकरी और झड़ौदा गांव में बड़ी संख्या में किसान है. इस बार यहां गेंहू के अलावा गोभी, गाजर और मूली की जबरदस्त फसल हुई है. किसान इन फसलों की कटाई में लगे हुए हैं. टीकरी कलां गांव के किसान सत्यवान की गोभी की फसल तैयार है. खेत मे लेबर कटाई कर रहे हैं सत्यवान ने बताया कि टीकरी गांव और आसपास के इलाकों मे बड़ी संख्या में गोभी की फसल लगाई गई है. लेकिन अब हमलोग गोभी पर खेत में ही ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हैं. मंडी में दाम इतने कम मिल रहे हैं कि इन्होंने गोभी की कटाई ही नहीं की और सारी फसल खराब हो गई.


16 क्विंटल गोभी मंडी में 3 हजार रुपये में बिक रही है


किसान सत्यवान ने बताया कि एक ट्रक में 16 क्विंटल गोभी मंडी में 3 हजार रुपये में बिक रही है. जबकि गोभी तुड़ाई लेबर और मंडी तक ट्रांसपोर्ट का खर्चा ही इन्हें करीब 2400 रुपये आएगा. यानी 16 क्विंटल गोभी में पैसा बचेगा 600 रुपये. 1 एकड़ खेती में 15 हजार का बीज, 15 हजार की खाद और दवाई और 10 हजार की नालाई लगती है, मतलब 40 हजार का खेती का खर्चा आता है. एक एकड़ में गोभी की पैदावार करीब 128 क्विंटल 8 ट्रक गोभी होती है. इस तरह अगर 600 रुपए के हिसाब से 8 ट्रक गोभी बेची जाए तो सब खर्चे निकाल कर इन्हें महज 4800 रुपये ही मिलेंगे. मतलब खर्चा 40 हजार औऱ हाथ लगे सिर्फ 4800 रुपये. मंडी में दाम क्यों नही मिल रहे वो समझ नहीं आ रहा. इसलिए सत्यवान चाहते है कि एमएसपी का क़ानून हो जिससे किसानों को न्यूनतम कीमत तो मिल सके.


कानून में संशोधन चाहते हैं टीकरी के किसान


हालांकि पूरे किसान कानून को वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं. किसान रमेश ने टीकरी गांव में सरसों की फसल लगाई है. तीनों कृषि कानून से रमेश बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो किसानों के लिए किया है अब तक किसी ने नहीं किया और वो उम्मीद करते है कि नए कानून से बाजार खुलने पर इनकी आमदनी बढ़ेगी.



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