दिल्ली में कोरोना से जुड़े मामलों और ऑक्सीजन किल्लत, जरूरी दवाओं की कमी के मुद्दों पर आज सुनवाई जारी रही. इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली के हालात को लेकर अपनी बेबसी भी ज़ाहिर की और मौजूदा माहौल में डर लगने की बात तक कह दी.


दिल्ली हाई कोर्ट में शुक्रवार की सुनवाई जैसे ही शुरू हुई बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चेयरमैन रमेश गुप्ता भावुक हो गए. रमेश गुप्ता ने कहा कि हर रोज़ 15-20 जान पहचान के लोगों की मौत की खबर आ रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे. रमेश गुप्ता ने मांग की कुछ आईसीयू बेड वकीलों के लिए भी रखे जाएं तो बेहतर रहेगा. रमेश गुप्ता ने बताया कि द्वारका कोर्ट के सामने एक 95 फ़ीसदी तैयार अस्पताल मौजूद है. अगर वहां पर 100 बेड शुरू कर दिए जाए तो वह वकीलों को दिए जा सकते हैं.


हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है- कोर्ट


इन दलील पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम आपका दर्द समझते हैं लेकिन महामारी में मामले अचानक इतने बढ़ गए हैं जिसको लेकर हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अगर हम इस अस्पताल को शुरू कर भी देते हैं तो भी हमारे पास ऑक्सीजन कहां है? क्योंकि जो अस्पताल पहले से ही चल रहे हैं उन्होंने भी नए मरीजों को भर्ती करने से इंकार कर दिया है यहां तक की जो मरीज भर्ती हैं उनको भी घर जाने को कह रहे हैं.


इसके बाद हाईकोर्ट ने एक के बाद एक कई गंभीर टिप्पणियां करते हुए कहा कि डॉक्टर भी रो रहे हैं. हमारे लिए यही सबसे बड़ा चिंता का विषय है. यह सरकार की बड़ी नाकामी है. मौजूदा हालात एक युद्ध की तरह हैं और यह एक सामान्य लड़ाई नहीं है.


अमेरिका से मिले सिलेंडर क्या छोटे अस्पतालों को दिया जा सकता है- दिल्ली हाई कोर्ट


इस बीच मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि हमारे लिए भी बहुत मुश्किल है हम खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. वहीं उनके साथ बैठे जस्टिस संघी ने टिप्पणी करते हुए कहा हम सब डरे हुए हैं. इसी दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि इस वक्त हमारी हालत ऐसी है जैसे एक टाइटेनिक शिप जिस पर जान बचाने के लिए सिर्फ कुछ बोट मौजूद हैं.


दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली में बड़े अस्पतालों को तो ऑक्सीजन मिल भी रही है लेकिन जो छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम हैं जिनके पास में आईसीयू जैसी सुविधा है भी लेकिन फिर भी उनको ऑक्सीजन नहीं मिल रही. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि क्या अभी यूएस से जो ऑक्सीजन के 440 सिलेंडर आए हैं क्या उनमें से कुछ को दिल्ली के छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम को दिया जा सकता है जहां पर आईसीयू बेड की सुविधा उपलब्ध है.


कोर्ट को जानकारी दी गई कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी लिंडे ने ऑक्सीजन का रेट बढ़ा दिया है. जिस पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी लिंडे ने कोर्ट को बताया कि हर कोई उसके पास ऑक्सीजन की मांग को लेकर आ रहा है जिसके चलते उसके सामने पैसे की दिक्कत भी खड़ी होने लगी है क्योंकि उसका अपना सारा पैसा खत्म हो गया है.


इस सबके बीच बत्रा समेत कुछ अस्पतालों ने एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट में ऑक्सीजन की कमी की जानकारी दी जिस पर कोर्ट ने सरकार और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी से कहा कि वह इस ओर जल्दी कदम उठाए. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर सभी बड़े अस्पतालों के पास अपना ऑक्सीजन प्लांट होता तो आज इतने बुरे हालात नहीं होते. लेकिन यह दुर्भाग्य है कि ऐसा नहीं है और हम पूरी तरह वहां से आने वाली ऑक्सीजन पर ही निर्भर है.


अस्पताल और सप्लायर के बीच एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए


कोर्ट ने सुझाव दिया कि अस्पताल और सप्लायर के बीच एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए जिस पर अस्पताल अपनी स्थिति सप्लायर को बताएं और सप्लायर जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन मुहैया कराएं. कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि जैसे ही ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ेगी इस तरीके के दिक्कतें कम होंगी.


दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिया है कि वह दिल्ली का 200 मेट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा और बढ़ाएंगे. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा मौजूदा वक्त में यही सबसे महत्वपूर्ण है.


कोर्ट में मौजूद वकील ने कहा कि अब तक दिल्ली सरकार ने सेना से नए अस्पताल तैयार करने के बारे में कोई मदद नहीं मांगी. इस पर जल्द कार्रवाई होनी चाहिए. जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या कदम उठाए हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम अगले 2 दिनों के अंदर इस ओर कदम उठाएंगे.


सुनवाई के दौरान दिल्ली में आरटीपीसीआर टेस्ट की कमी को लेकर सवाल उठाया गया जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर आरटीपीसीआर टेस्ट की क्या स्थिति है? जवाब में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि पहले 1 लाख से ज्यादा हो रहे थे लेकिन लॉकडाउन के बाद फिलहाल 70,000 से 80,000 के बीच हो रहे हैं.


मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में 24 से 48 घंटे का वक्त लग रहा है. जिस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल कोरोना टेस्टिंग किट के सप्लायर भी खुद कोरोना से संक्रमित है इस वजह से टेस्ट टिकट मिलने में ज्यादा वक्त लग रहा है.


इसी दौरान दिल्ली सरकार के वकील दिल्ली हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बारे में बताया. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने कहा है कि वह दिल्ली को लेकर किसी योजना पर विचार कर रहे हैं क्या है यह योजना यह केंद्र सरकार के वकील ही बेहतर बता सकते हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए कार्रवाई होनी चाहिए.


आप क्या विचार कर रहे हैं इसके बारे में कोर्ट को भी बताइए- कोर्ट


जिसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आप क्या विचार कर रहे हैं इसके बारे में कोर्ट को भी बताइए जिससे कि हम को भी थोड़ी आसानी हो समझने में. दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि रोजाना सैकड़ों लोग मर रहे हैं हम भी रोजाना सुनवाई करते करते थक चुके हैं.


इस बीच में दिल्ली सरकार के वकील ने आईनॉक्स कंपनी द्वारा सप्लाई की जा रही है को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जितनी ऑक्सीजन सप्लाई होनी थी वह नहीं हो रही. आखिर जा कहां रही है. कहीं कालाबाजारी तो नहीं हो रही. जिस पर आईनॉक्स कंपनी के वकील ने कहा कि हमें ऐसी दलीले सुनकर झटका लग रहा है. ऑक्सीजन का पूरा हिसाब दिल्ली सरकार के पास में है फिर भी इस तरीके की दलीलें दी जाती है. आईनॉक्स कंपनी की तरफ से कहा गया कि दिल्ली सरकार दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई ऐसे कर रही है जैसे पिज्जा डिलीवरी कर रही हो. ऑक्सीजन सप्लाई वाली कंपनी की तरफ से कहा गया कि जब उत्पादन ही कम होगा तो कमी तो होगी.


वहीं दिल्ली के अस्पताल में बेड की किल्लत पर दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना होगा जहां पर लोगों को सही जानकारी मिल सके लोग ऑनलाइन सिस्टम देखकर अस्पतालों के चक्कर लगाते हैं जहां उनको बेड नहीं मिलता. कोर्ट ने कहा कि सिस्टम ऐसा होना चाहिए कि मरीज उस सिस्टम से सीधे बेड को बुक कर सके. लेकिन उससे पहले यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उस मरीज को बेड की जरूरत है या नहीं.


सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन की समस्या है- कोर्ट


इसको समझाने के लिए कोर्ट ने कहा कि हमको मुंबई की जानकारी मिली है जहां मुंबई नगरपालिका के लोग लोगों के घर-घर जाकर वहां मौजूद मरीजों की हालत देखकर तय करते हैं कि उनको अस्पताल में भर्ती करवाना है या नहीं. लेकिन फिलहाल दिल्ली में बहुत देर हो चुकी है अगर इस दौरान ऐसा कोई सिस्टम किया तो उससे और दुविधा फैल जाएगी.


शुक्रवार को सुनवाई खत्म करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिलहाल अभी हम बाकी मुद्दों पर उतना ज़ोर नहीं दे रहे हैं क्योंकि हमारे सामने सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन की समस्या है.