दिल्लीः वैक्सीनेशन सेंटर की नोडल ऑफिसर ट्रांसजेंडर, 38 साल की इस प्रोफेसर की कहानी समाज के लिए है मिसाल
दिल्ली के हमदर्द इंस्टीटूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत अक्सा शेख न सिर्फ एक डॉक्टर और प्रोफेसर हैं बल्कि HIMSR वैक्सीनेशन सेंटर की नोडल ऑफिसर भी हैं.
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नई दिल्लीः समाज मे ट्रांसजेंडर के लिए परेशानिया कुछ ज़्यादा ही है. और ऐसे समाज मे जहां ट्रांसजेंडेरो को सिर्फ सिग्नलों पर मांगते किन्नरों की शक्ल में या फिर शादियो में नाचते हुए छवि में देखा जाता है. लेकिन ट्रांसजेंडर डॉक्टर अक्सा शेख समाज के लिए मिसाल हैं. बदलाव और बेहतर समाज की सोच रखने वाली इस ट्रांसजेंडर का यहां तक का सफर कुछ आसान नहीं था. अक्सा शेख 38 साल की है और हर बीते साल काफी मुश्किल से गुज़रा है. उनका मानना है कि जब आप कई बैरियर पार कर लेते हो तो हिम्मत आ ही जाती है.
अक्सा मुंबई में जन्मी और वही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई में शुरू से अच्छी थी जिस वजह से अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला और मेडिकल की डिग्री हासिल की. वह अपनी पहचान को लेकर परेशान रहती थी.
मेडिकल के तीसरे साल में जाकर अपनी पहचान को लेकर समझा और निर्णय लिया और ट्रांसजेंडर के रूप में सामने आई. उन के परिवार के लिए यह एक्सेप्ट करना बेहद मुश्किल था, लेकिन धीरे धीरे परिवार ने यह चीज़ एक्सेप्ट की. और अब यह दिल्ली में अपनी मम्मी के साथ रहती है.
मुंबई से निकल कर ट्रांसजेंडर के रूप में खुल के जीने के साथ-साथ नया सफर अक्सा ने दिल्ली आकर शुरू किया. साल 2013 में हमदर्द इंस्टीटूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च में आकर मेडिकल फील्ड में काम किया और बीते कोरोना काल मे अक्सा कोरोना से संक्रमित भी हुई.
कई बार गिरने और उठने के सफर में वह आज एक मिसाल बनी हुई हैं. मेडिकल प्रोफेशनल के साथ ही वह ट्रांसजेंडर्स के लिए काम भी करती हैं. सरकार और समाज से ट्रांसजेंडर के प्रति अच्छी भावना और रखने की उम्मीद करती है.
अक्सा का कहना है, "खुल कर नहीं जी पाती थी तो बस पढ़ाई पर फोकस था. पोस्ट ट्रांसिशन खुश हूं और खुशी के साथ जी रही हूं. शुरू में फैमिली के लिए बहुत मुश्किल था. जब स्टूडेंट और कूलीग को बताया तो एक दिन में एकसेप्टन्स नहीं आया, लेकिन अब सब प्यार करते हैं."
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