नई दिल्लीः शुक्रवार रात लगभग 9:08 बजे दिल्ली एनसीआर के साथ साथ पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश के अनेक इलाकों में भूकम्प के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र हरियाणा का रोहतक रहा जो दिल्ली से 65 km की दूरी पर है. रात में आए इस भूकंप के झटके करीब 10 से 15 सेकेंड तक महसूस किए गए और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 की रही. वहीं भूकंप के केंद्र में सतह से पांच किलोमीटर अंदर इसकी गहराई बताई जा रही है.


अप्रैल के महीने में भी दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 12 अप्रैल को आए भूकंप की तीव्रता 3.5 थी, जबकि 13 अप्रैल को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.7 थी. और इन दोनों में सबसे ज़रूरी बात यह थी कि दोनों भूकंप के झटकों का केंद्र दिल्ली ही था.


कोरोना वायरस और अब इन भूकंप के झटकों के कारण लोगों के मन में भी खौफ का माहौल बना हुआ है. ऐसे में इन लगातार हो रहे भूकम्प हादसों का कारण जानने के लिए हमने भू वैज्ञानिक महेश पालावत से बात की.


महेश पालावत ने ABP न्यूज़ को बताया कि कल जो भूकम्प आया वो 4.6 रिक्टर स्केल का था यानी कि 'मॉडरेट इंटेंसिटी' का जिनसे ज़्यादा नुकसान होने की आशंका नही होती. उन्होंने बताया, "ये जो भूकम्प के झटके आ रहे हैं उनका कारण यह है कि दिल्ली के तीन टेकटोनिक जोड़ हैं, या फिर फ़ॉल्टस. एक सोहना फाल्ट है, मोरादाबाद फाल्ट है और एक बरेली फाल्ट है, उसी के साथ साथ एक 'हेयरपिन बेंड' (Hairpin bend) है जो लाहौर से दिल्ली और हरिद्वार से दिल्ली आ रहा है. इस समय हमने देखा है कि जो सोहना फाल्ट है वो ज़्यादा एक्टिव है, तो जितने भी भूकम्प के किस्से देखे गए हैं वो इसी इलाके में देखे गए हैं. ऐसी तीव्रता के झटके आगे भी आ सकते हैं."


वो यह भी कहते हैं कि यह अपने आप मे कोई बड़ा संकेत नहीं है क्योंकि फाल्ट एक्टिव होने पर इस तरह के भूकम्प आते रहते हैं. उनका कहना है कि आगे भी कई हल्के भूकम्प आ सकते हैं. उनका कहना है कि दिल्ली में ट्रांस यमुना इलाकों में ज़्यादा तीव्रता के भूकम्प आने की आशंका अधिक है, और बाकी इलाके जैसे कि वसंत कुंज, वसंत विहार, धौला कुआं, एम्स ईत्यादी सेफ जोन में आते हैं.


उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि दिल्ली में किसी बड़े भूकम्प की संभावना कम है लेकिन कभी दिल्ली में कोई बड़ा भूकम्प आता है तो इसके लिए राजधानी बिल्कुल भी तैयार नहीं है. जिससे उसे भारी नुकसान भी चुकाना पड़ सकता है.उनके कहना है कि "दिल्ली में कई तंग गलियां और इलाके हैं. जितनी भी हाई राइज बिल्डिंग्स बन रही हैं वो भूकम्प रेसिस्टेंट नही हैं."


दिल्ली में अन्य और कारणों से आने वाले भूकम्प को समझाते हुए उन्होंने बताया की भारत में मुख्य टेकटोनिक जोड़ इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट का है जो हिन्दू कुश से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक है. इसमें उत्तराखण्ड और उसके आस पास के अन्य इलाके शामिल हैं. यदि उस ज़ोन में कोई बड़ा भूकम्प आता है तो उसका असर भी दिल्ली में देखने को मिलता है या मिल सकता है. लेकिन उनका कहना है कि वहां भी अगर 7 रिक्टर स्केल की तीव्रता का भूकम्प आता है तो भी दिल्ली में नुकसान होने की आशंका कम है. इसीलिए इन दिनों आ रही भूकम्प की खबरों से बहुत ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नहीं है.


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