Delhi University 100 years celebration: दिल्ली विश्वविद्यालय अपने 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर एक साल तक शताब्दी समारोह आयोजित कर रहा है, जिसकी शुरुआत रविवार 1 मई को डीयू के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुई. जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहे. डीयू ने इस इस मौके पर स्मारक डाक टिकट, एक सिक्का और एक वेबसाइट भी जारी की है.
शिक्षा मंत्री बोले - डीयू एक इमोशन है
इस मौके पर मौजूद विशिष्ट अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, हमारे देश में चुनिंदा ऐसे शिक्षा संस्थान हैं जिनकी आयु 100 साल है. दिल्ली विश्वविद्यालय एक जीवंत अनुष्ठान है. डीयू एक सेंटीमेंट है, इमोशन है जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है. जितने ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री लेने वाले और वो जो कैंटीन में यहां छोले बेचते हैं, चाय बेचते हैं, उनका भी योगदान है और उनका भी धन्यवाद... हमें जॉब सीकर नहीं, क्रिएटर बनना है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी दी जानकारी
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होना शुरू हो गया है. चाहे वो 4 साल की डिग्री हो या मल्टीपल एंट्री - मल्टीपल एक्जिट. आपने CUET को लागू कर नया पैमाना खड़ा किया है. कॉलेज के तीन साल होंगे या चार साल ये हर छात्र खुद चुन सकेगा. NEP ने भाषा को महत्व दिया है. डीयू ने त्रिभाषी निकाला है. हिंदी, इंग्लिश और तेलेगु...क्या हम आने वाले तीन-चार साल में देश के समाधानों को खोजेंगे. क्या डीयू समस्याओं का एनक्यूबेटर बन सकता है? बहुत प्रभावी, संपन्न लोगों को मैं देख पा रहा हूं. डीयू ने आपको बहुत कुछ दिया है, अब वक्त है आप भी डीयू के लिए, देश के लिए योगदान करें.
उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा पर दिया जोर
इस समारोह में मुख्य अतिथि के मौजूद रहे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन की शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चलते होने जा रहे सकारात्मक बदलावों को लेकर की. उपराष्ट्रपति नायडू कहते हैं कि NEP देश की शिक्षा पद्धति में क्रांति लाएगा. "बच्चों की शुरुआती पारिवारिक शिक्षा अपनी भाषा में कराएं. देश के युवाओं में वो ऊर्जा है जो देश को बहुत आगे ले जा सकता है. मदर टंग में शिक्षा ग्रहण करना, उसको सम्मान करने जैसा है. फॉरेन लैंग्वेज महज चश्मा है मगर, मदर टंग आपकी आंखों की रोशनी है." संसद में 22 क्षेत्रीय भाषाओं में बात होती है. युवाओं से अपील है, शिक्षा ग्रहण करने बाहर जाते हैं तो ग्रहण करने के बाद अपनी मातृभूमि की तरफ लौटें. अपनी काबिलियत को देश के साथ साझा करें. रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म पर हमें काम करना होगा. हमारे रिसर्च और स्टडी का एक लक्ष्य होना चाहिए.
बता दें कि दिल्ली विश्विद्यालय की शुरुआत सिर्फ तीन कॉलेजों - सेंट स्टीफेंस, रामजस कॉलेज और हिंदू कॉलेज से की गई थी जिनमें महज 750 छात्रों की संख्या थी और आठ विभाग, दो फैकल्टी थे. वहीं आज यह बढ़कर 90 कॉलेज के साथ 6 लाख से अधिक छात्र, 86 विभाग, 16 फैकल्टी, 25 केंद्र और चार संस्थान हो गए हैं. डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने कहा कि, ‘‘शताब्दी वर्ष में इंजीनियरिंग फैकल्टी शुरू करने की योजना बनाई जा रही है. अभी कोई इंजीनियरिंग फैकल्टी नहीं है."
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