Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी में खुलने वाले नए कॉलेजों में से एक कॉलेज का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर रखने के फैसले पर अब विरोध शुरू हो गया है. कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI ने निर्णय वापस नहीं लेने पर यूनिवर्सिटी का कामकाज रोकने की चेतावनी दी है. मंगलवार को NSUI ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में आटर्स फैकल्टी के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
विरोध प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने आर्ट्स फैकल्टी के बाहर जमकर नारेबाज़ी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह का पुतला दहन किया. एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 2 नए कॉलेज खुल रहें हैं जिनमें से एक कॉलेज का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखा जाएगा, जिसका एनएसयूआई विरोध करती हैं.
दो राष्ट्र के सिद्धांत की बात सावरकर ने कही थी- एनएसयूआई
एनएसयूआई की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सावरकर वहीं व्यक्ति हैं जिसने सबसे पहले दो राष्ट्र के सिद्धांत की बात कही थी और सावरकर इस देश का सबसे बड़ा माफीवीर हैं जिसने अंग्रेजों से 6 बार लिखित में माफ़ी मांगी थी. सावरकर ने अंग्रेजो से कहा था कि "छोड़ दो सरकार रहूंगा आपका वफादार".
एनएसयूआई की ओर से कहा गया है कि इस फैसले को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम दिल्ली विश्वविद्यालय से निवेदन करते हैं कि जल्द से जल्द सावरकर के नाम से कॉलेज खोलने के फैसले को वापस लिया जाए वरना बड़े विरोध को सहने के लिए दिल्ली विश्वविधालय तैयार रहें.
किसी के नाम से भी कॉलेज खुले पढ़ाई होनी चाहिए- मनीष सिसोदिया
वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि दिल्ली में दो नए कॉलेज खुल रहे हैं और दिल्ली के लोगों के लिए भी देश के लोगों के लिए भी. दिल्ली विश्वविद्यालय बहुत शानदार अतीत वाला विश्वविद्यालय है. दिल्ली में दो नए कॉलेज और खुलेंगे तो यह और अच्छी बात होगी लोगों के लिए. किसी के नाम पर भी कॉलेज रख का नाम रखिए लेकिन बच्चों को पढ़ाएं. बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिले किसी के नाम पर भी कॉलेज का नाम रखा जाए तो अच्छा ही है.
गौरतलब है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में फैसला हुआ कि साउथ दिल्ली के भाटी माइंस और वेस्ट दिल्ली के नजफगढ़ में खुलने वाले दो कॉलेजों के नाम वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर रखे जाएंगे. इस पर आखिरी फैसला कुलपति पर छोड़ा गया था.
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