दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने किया दावा- निकाल लिया Coronavirus का तोड़
नए हाईड्रोक्सीइथेलेमाइन एनालॉग बनाने का दावा, लेकिन अभी लैब टेस्ट से गुजरना होगा. रिसर्च पेपर को अमेरिकी, ब्राजील और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिखा.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है. हजारों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. वहीं दुनिया भर के वैज्ञानिक और लैब इस भयंकर वायरस का तोड़ ढूंढने में जुटे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने अमेरिका और ब्राजील के वैज्ञानिकों की मदद से एक नए हाईड्रोक्सीइथेलेमाइन एनालॉग बनाने का दावा किया है. यह सार्स-सीओवी2 यानि नोवल कोविड-19 के प्रोटीन टारगेट के खिलाफ काम करता है.
अमेरिका की ओपनसोर्स कैमिस्ट्री सोसयटी, 'कैमरिक्सआईवी' में छपे इस रिसर्च-पेपर में दिल्ली यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर बृजेश राठी ने दावा किया है कि शुरूआती मोलिकियल डायनेमिक्स में इसके परिणाम मिले हैं और ये फेफड़ों में कोरोना वायरस को बढ़ने नहीं देता है. इससे फेफड़ों पर जानलेवा प्रभाव नहीं पड़ता है. लेख में कहा गया है कि हाईड्रोक्सीइथेलेमाइन कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए प्रोटीन से जुड़ जाता है और इसे बाहर से एनर्जी नहीं मिलती. ये फिर फेफड़ों में बढ़ नहीं पाता है और फेफड़ों पर कोरोना वायरस का असर कम कर देता है.
डॉ. राठी जो अमेरिका की एमआईटी यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं. उन्होंने बताया कि अभी इससे इन-विट्रो टेस्ट होने बाकी है. यह टेस्ट आईसीएमआर की पुणे स्थित एनआईबी लैब या कहीं और भी हो सकते हैं. इसके बाद क्लीनिकल-ट्रायल होगा तभी इस रिसर्च को सफल माना जाएगा. इस लेख में बृजेश राठी के साथ अमेरिका, ब्राजील और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने भी मदद की है. कैमरिक्सआईवी एक ओपन सोर्स सर्वर है जिसे अमेरिका की कैमिकल सोसायटी चलाती है. यहां छपे रिसर्च पेपर बिना रिव्यू के छपते हैं. रिव्यू होने के बाद ही वे पब्लिकेशन के लिए तैयार होते हैं.
ग़ौरतलब है कि दुनिया भर के अलग-अलग देशों के साथ भारत में भी कोरोना वायरस अपने पैर तेज़ी से पसार रहा है. अब तक देश में कोरोना वायरस के कारण 4281 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. वहीं भारत में अब तक कोरोना वायरस के कारण 111 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.