(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maoist links case: GN साईबाबा को लगा 'सुप्रीम' झटका! फैसला पलटने पर उनकी पत्नी बोलीं- दिव्यांग हैं...
A S Vasantha Kumari Reliance On judiciary: दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा की पत्नी ने कहा कि ये गंभीर बीमारियों से जूझ रहें हैं.
GN Saibaba Jai : दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा की पत्नी एएस वसंता कुमारी ने बुधवार (19 अप्रैल) को न्यायपालिका पर भरोसा जताया और कहा कि उनके पति जल्द जेल से बाहर आएंगे, क्योंकि उनका मामला मजबूत है.
कुमारी ने साईबाबा की खराब सेहत का हवाला देते हुए कहा कि वह व्हीलचेयर पर हैं और उन्हें लगातार देखभाल की जरूरत है. उन्होंने कहा साईबाबा 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं. उन्होंने कहा कि वे अनेक गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. किसी दिव्यांग व्यक्ति के लिए जेल में एक साल भी 10 साल के बराबर है.
वसंता कुमारी ने क्या कहा?
साईबाबा की पत्नी ने कहा कि दोनों 15 साल की उम्र में पहली बार मिले थे और तब से दोनों पहली बार इतने लंबे समय तक एक दूसरे से दूर रहे हैं. उन्होंने पीटीआई से फोन पर कहा हम बचपन के दोस्त हैं. हम इतने लंबे वक्त तक कभी दूर नहीं रहे, लेकिन हम केवल शारीरिक रूप से दूर हैं. हमारे दिल एक साथ हैं. कुमारी का बयान उस दिन आया है जब उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए क्या निर्देश?
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को साईबाबा की अपील और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष नहीं भेजने का निर्देश दिया. जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा कराने को कहा था. अपने पति के खिलाफ मामले के बारे में बात करते हुए कुमारी ने कहा गुण-दोषों के आधार पर हमारा मामला मजबूत है.
उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम मामले को जीतेंगे और वह (साईबाबा) अन्य लोगों के साथ बरी हो जाएंगे. मामला काफी लंबा खिंच गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में रहने के दौरान साईबाबा की हालत बिगड़ गयी है. कुमारी ने कहा मेरे पति की हालत बिगड़ रही है. उनका इलाज नहीं हो रहा. हम लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें उनके कामकाज के लिए दो सहायकों की जरूरत है. उनके साथ जो हुआ वह दिव्यांग के अधिकारों का उल्लंघन है.