नई दिल्लीः अनलॉक-5 के तहत दिल्ली में शादी समारोह को बैंक्वेट हॉल, मैरिज हाल और होटल में आयोजित करने की इजाज़त मिल गई है. DDMA की गाइडलाइन के मुताबिक शादी के लिए अधिकतम 50 लोगों के साथ बैंक्वेट हॉल में आयोजन किया जा सकता है. हालांकि इस दौरान कोरोना नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. इस एलान के बाद से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली है. बैंक्वेट हॉल और शादी में बैंड-बाजे के व्यवसाय से जुड़े लोग लंबे समय से इस एलान का इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि शादी का करीब सारा सीज़न लॉकडाउन में निकल गया.


बैंक्वेट हॉल संचालक और दिल्ली में बैंक्वेट हॉल एसोसिएशन के सदस्य कृष्णा जैन का कहना है कि हमें काफी राहत मिली है. काम का सीजन ज्यादातर निकल ही चुका है, 15-20 दिन ही बचे हैं.18 जुलाई तक ही साया है तो हम कोशिश करेंगे कि इन 15-20 दिनों में जो काम है वो करें, खुद भी सेफ रहें और लोगों को भी सेफ रखें. कोविड गाइडलाइंस के सभी नियम का हम पालन कर रहे हैं. सैनिटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग के बाद ही लोगों को अंदर आने की इजाजत है. हमारा जितना भी स्टाफ इस समय काम कर रहा है वह पूरी तरह से वैक्सीनेटेड है.


कोरोना के दौरान बैंक्वेट हॉल व्यवसाय से जुड़े लोगों को जो नुकसान हुआ उस पर कृष्णा जैन का कहना है कि नुकसान की कोई सीमा नहीं है. क्योंकि बिजली के पानी के फिक्स चार्ज हमें देने ही थे. शादियों का जो सीजन लॉकडाउन में निकला वह हमारे लिए बहुत बड़ा नुकसान था. दिल्ली को छोड़कर एनसीआर रीजन में सब जगह शादियां हो रही थी तो जो शादियां दिल्ली में होनी थी वह एनसीआर के इलाके में हो गई. साथ ही, सरकार ने हमें गाइडलाइन दी की जो बुकिंग कैंसिल होगी उसका रिफंड भी करना होगा.


शादी से ही जुड़ा है बैंड-बाजे वालों का कारोबार. दिहाड़ी पर काम करने वाले बैंड वालों के लिए ये मुसीबत भरा समय रहा है. हालांकि काम दोबारा शुरू होने से लोग काफी खुश हैं. साउथ दिल्ली के मशहूर सोहन बैंड के मालिक पुनीत आहूजा का परिवार पिछले 70 साल से इस व्यवसाय से जुड़ा है. पुनीत आहूजा का कहना है कि पिछले लॉकडाउन और इस लॉकडाउन दोनों में ही बहुत नुकसान हुआ. सारी बुकिंग कैंसिल हो गई दो-तीन महीने बिल्कुल काम खत्म हो गया. आज से काम शुरू हुआ है तो थोड़ी खुशी मिली है कि कम से कम जो सीजन बचा है उसमें काम हो सकेगा. हमारा सारा स्टाफ घर चला गया था उनको फोन करके अब वापस बुला रहे हैं. 15-20 दिन का साया बचा है तो उसमें जितना काम कर सकते हैं वह कर रहे हैं.


बैंड दल के लीडर सद्दाम हुसैन मुरादाबाद के रहने वाले हैं. उनका कहना है जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो एक-दो हफ्ते इंतजार किया, लेकिन जब लंबा लॉकडाउन लग गया तो फिर हमें गांव जाना पड़ा. क्योंकि यह रोज का काम है जितना कमाते हैं उतना ही खाते हैं. लंबे समय तक लॉक डाउन होने से बहुत बड़ी दिक्कत आई घर वापस जाकर फल-सब्जी बेचने का काम किया ताकि दो समय की रोटी कमा सकें. लंबे समय तक हम खाली नहीं बैठ सकते वरना भुखमरी की स्थिति शुरू हो जाती. कोरोना ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया है. शादियां भीड़ भाड़ में होती हैं होती हैं और जब भीड़-भाड़ इकठ्ठी नहीं होनी नहीं है तो बैंड का काम भी बंद है.


इस ग्रुप में बैंड बजाने वाले गुलाम अली का कहना है कि लॉकडाउन में काम मंदा हो गया. मैंने बचपन से यही काम किया है मुझे कुछ और आता भी नहीं था. लेकिन लॉकडाउन में काम बंद हो गया तो मजदूरी भी करनी पड़ी. हमारा अप्रैल-मई-जून का पूरा सीजन खत्म हो गया करीब 50 से 60 हज़ार का नुकसान हो गया.


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