नई दिल्ली:दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली हिंसा को लेकर अब तक 123 एफआईआर दर्ज हुए हैं. 25 एफआईआर फायर आर्मस की दर्ज हैं. 630 लोगों को पकड़ा (गिरफ्तार या हिरासत) गया है. ये आंकड़ा और बढ़ेगा. आज दस घंटे के लिए धारा 144 में ढील दी गई. आज जुमे की नमाज भी ठीक रही. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में स्थिति सामान्य है. जांच का काम शुरू हो चुका है.


दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएम रंधावा ने बताया कि फॉरेसिंक टीम ने आज क्राइम सीन का दौरा किया. इसके साथ ही सोशल मीडिया की भी मॉनिटरिंग हो रही है. स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम सबूत इकट्ठे कर रही है. हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है. हिंसा में 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं. मुख्य रूप से जो क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, उनमें जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, खुरेजी खास और भजनपुरा शामिल हैं.


NIA से जांच कराने का अनुरोध, कोर्ट ने मांगा केन्द्र, आप सरकार से जवाब


दिल्ली हाई कोर्ट सीएए को लेकर हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने के मकसद से अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत एनआईए से जांच के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा. चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार, गृह मंत्रालय और पुलिस को नोटिस जारी किए. याचिका में सीएए को लेकर नागरिकों को भड़काने के आरोप में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, एआईएमआईएम नेता वारिस पठान और असदुद्दीन ओवैसी सहित विभिन्न लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा गया है.


यह याचिका अजय गौतम ने दायर की है. इसमें अदालत से एनआई को जांच कर इस बात का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि आंदोलनों के पीछे ‘‘कौन सी राष्ट्र विरोधी ताकतें’’ हैं. साथ ही इसमें पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई)की भूमिका की जांच कराने का आग्रह किया गया है जो कथित रूप से ‘‘विरोध प्रदर्शनों का वित्त पोषण, उत्साहवर्द्धन और सहयोग कर रहा है.’’


याचिका में अधिकारियों को उत्तर पूर्व दिल्ली में नागरिकों की जान माल की रक्षा और स्थिति पर काबू पाने के लिए समुचित बल तैनात करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इस हिंसा में अभी तक 42 लोगों की जान गयी हैं और 250 से अधिक लोग घायल हुए हैं.


गौतम ने अपनी याचिका में दावा किया कि यह कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं है तथा इनके पीछे ‘‘राष्ट्र विरोधी और हिन्दू विरोधी ताकतें हैं तथा कुछ निहित स्वार्थ : राजनीतक दल : इन विरोध प्रदर्शनों का वित्त पोषण का रहे हैं.’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि ये विरोध प्रदर्शन देश के खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र है.